गुजरात दंगों पर बोले मोदी, ‘मैंने कुछ गलत नहीं किया’

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modi_JNIनई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि मैं एक राष्ट्रवादी हिंदू हूं, देशभक्त हूं। और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। गुजरात दंगों के सवाल पर मोदी ने कहा कि लोगों को आलोचना करने का पूरा अधिकार है। लेकिन उन्होंने जब कुछ भी गलत नहीं किया तो उन्हें क्यों बुरा लगे।

मोदी के मुताबिक उन लोगों को हताशा होती है जिन्हें रंग हाथ गलत काम करते हुए पकड़ा जाता है। लेकिन मोदी का कहना है कि उनके साथ ऐसा कुछ भी नहीं, इसलिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है।

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मोदी ने कहा कि इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने मुझे क्लीन चिट दे दी। उन्होंने कहा कि मेरा हिन्दू होना कोई गुनाह नहीं है। आखिर में मोदी ने कहा कि कुछ गलत होने पर मुझे भी बुरा लगता है।
इंटरव्यू के अंश:

सवाल- लोग आपको अब भी 2002 से परिभाषित करते हैं क्या आप इससे परेशान होते हैं?

मोदी- लोगों को आलोचना करने का अधिकार है। हम लोकतांत्रिक देश हैं। यहां हर किसी का अपना दृष्टिकोण है। मुझे परेशानी तब होती जब मैंने कुछ गलत किया होता। झुंझलाहट तब होती है जब आप सोचते हैं कि मैं पकड़ा गया। मैं चोरी कर रहा था और मैं पकड़ा गया। मेरा केस ऐसा नहीं है।

सवाल- क्या जो कुछ हुआ उसका आपको अफसोस है?

मोदी- मैं आपको बताता हूं। भारत का सुप्रीम कोर्ट दुनिया में अच्छा कोर्ट माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी बनाई और टॉप मोस्ट और काबिल पुलिस अफसरों को उसमें रखा, रिपोर्ट आई। रिपोर्ट में मुझे पूरी तरह से क्लीन चिट दी गई। दूसरी बात ये कि अगर हम कार चला रहे हैं या हम पीछे बैठे हैं और कोई और कार चला रहा है और कार के पहिये के नीचे कुत्ते का बच्चा भी आ जाए तो दुख होता है या नहीं। बिल्कुल होता है। मैं मुख्यमंत्री होऊं या नहीं लेकिन मैं इंसान हूं। अगर कहीं भी कुछ गलत होता है तो स्वाभाविक है कि दुख तो होता ही है।

सवाल- क्या दंगों के वक्त आपकी सरकार को रवैया अलग तरह का होना चाहिए था?

मोदी- हम मानते हैं कि हमने चीजों को सही करने में अपनी पूरी ताकत के साथ काम किया।

सवाल- क्या आपको लगता है कि आपने 2002 में सही किया?

मोदी- बिल्कुल। भगवान ने हमें जितनी भी बुद्धि दी है, जितना भी अनुभव मेरे पास था और उस स्थिति में जो कुछ भी हमारे पास था हमने उन सबका इस्तेमाल किया। यही बात एसआईटी ने जांची थी।

सवाल- क्या आप मानते हैं कि भारत में धर्मनिरपेक्ष लीडर होना चाहिए?

मोदी- हम मानते हैं लेकिन सेकुलरिज्म की परिभाषा क्या है। मेरे लिए मेरा सेकुलरिज्म का मतलब है, देश पहले। मेरी पार्टी का सिद्धांत है कि सबको न्याय, किसी का तुष्टिकरण नहीं। ये हमारा सेकुलरिज्म है।

सवाल- आलोचक कहते हैं कि आप तानाशाह हैं, समर्थक कहते हैं कि आप निर्णय लेने वाले लीडर हैं। वास्तव में मोदी क्या हैं?

मोदी- अगर आप खुद को नेता कहते हैं तो आपको निर्णय लेना वाला होना पड़ेगा। अगर आप निर्णय लेने में सक्षम हैं तो आपके पास लीडर होने का अवसर है। ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। लोग आपसे चाहते हैं कि आप निर्णय लें। केवल तभी वो आपको लीडर के रूप में स्वीकार करेंगे। ये तो गुण है, ये कोई नकारात्मक बात नहीं है। दूसरी बात ये कि अगर कोई तानाशाह है तो कैसे इतने सालों तक सरकार चलाने में कामयाब रहा। बिना टीम वर्क के कोई भी सफलता कैसे हासिल कर सकता है और इसीलिए मैं कहता हूं कि गुजरात की तरक्की मोदी की नहीं बल्कि टीम गुजरात की तरक्की है।