नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का दागी सांसदों-विधायकों पर आया फैसला दर्जनों नेताओं के लिए किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। उन्हें लगने लगा होगा कि उनका राजनीतिक भविष्य अब सिर्फ एक जज की कलम पर टिका हुआ है। अगर सजा मिली और सजा दो साल या ज्यादा की हुई तो जनता के प्रतिनिधि का उनका दर्जा छिन जाएगा। लाल बत्ती का आराम, रुतबा, धौंस, जोर सब एक झटके में धराशायी हो सकता है।
लोकसभा सांसद लालू यादव ऐसे ही नेता है। चारा घोटाले में आरजेडी अध्यक्ष पर फैसला आना है। पहले 15 जुलाई को ही सीबीआई की विशेष अदालत फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने लालू की जज बदलने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए इस फैसले पर रोक लगा दी। लालू के इस केस की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होनी है। अगर इस केस में लालू दोषी साबित होते हैं और सजा के तौर पर उन्हें दो साल से ज्यादा की कैद मिलती है तो उस सूरत में तुरंत ही उनकी संसद सदस्यता खारिज हो जाएगी और वो सजा काटने के बाद भी अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे, यानि अगर लालू कोर्ट से दोषी साबित होते हैं और 2 साल की सजा भी पाते हैं तो कम से कम 8 सालों तक उनके चुनावी करियर में ब्रेक लग जाएगा।
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राज्यसभा सांसद मायावती भी ऐसी ही राजनेता हैं। आय से अधिक संपत्ति के केस में बहुजन समाजवादी पार्टी प्रमुख मायावती को 1 मई 2013 को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई चाहे तो मामले की जांच कर सकती है। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को जांच करने की पूरी आजादी है.
लोकसभा सांसद मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे विधायक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, दोनों पर अदालत के फैसले की तलवार लटकी हुई है। नेताजी ने भरपूर कोशिश की कि उनके खिलाफ ये केस रद्द कर दिया जाए। वो सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन 13 दिसंबर 2012 को कोर्ट ने सीबीआई को मुलायम और अखिलेश के खिलाफ इस केस में सीबीआई जांच जारी रखने का निर्देश दे दिया। जाहिर है ये फैसला राजनीति को साफ सुथरा करने की दिशा में एक बड़ी कोशिश की तरह याद रखा जाएगा।
लोकसभा सांसद दक्षिण भारत के धुरंधर नेता और एक जमाने में ताकतवर टेलीकॉम मंत्री ए राजा भी कोर्ट के फैसले के इंतजार में दिन काट रहे हैं। एक लाख 70 हजार करोड़ के टू जी घोटाले में फंसे राजा की मंत्री पद की कुर्सी गई और उन्हें तिहाड़ में 15 महीने काटने पड़े। इस वक्त जमानत पर बाहर हैं मगर अदालत में सुनवाई जारी है। दोष साबित हुआ और 2 साल से ज्यादा की सजा मिली तो सांसद पद भी गंवा बैठेंगे।
राज्यसभा सांसद और करुणानिधी की बेटी और दक्षिण भारत का एक और चेहरा कनिमोड़ी भी बेफिक्र नहीं होंगी। 2जी घोटाले की आंच में इनका किरदार भी बेतरह झुलस गया है। करुणानिधि की लाख कोशिशों के बावजूद कनिमोड़ी को जेल जाना पड़ा और तिहाड़ में उन्होंने 6 महीने काटे। जमानत पर कनिमोड़ी जेल की कोठरी से तो निकल गईँ लेकिन इस घोटाले की कालिख से अब तक आजाद नहीं हुई हैं। उनके खिलाफ केस में सुनवाई जारी है। सजा उनका पद भी छीन सकती है।
पुणे से सांसद सुरेश कलमाड़ी का सांसद पद भी खतरे के घेरे में है। कलमाड़ी कांग्रेस के धुरंधर नेता के अलावा खेल में भी खासे उस्ताद निकले। उनके सिर पर 2010 कॉमनवेल्थ घोटाला है। 2011 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और 9 महीने तिहाड़ में काट कर जमानत पर बाहर निकले हैं। वो भले ही खेल की दुनिया में वापसी की कोशिश में हैं लेकिन अदालत में इस केस की सुनवाई जारी है।
सांसदों के अलावा कई चर्चित विधायक भी सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले की जद में आ सकते हैं। उनका विधायक पद छिन सकता है अगर जज ने उन्हें सजा दी और सजा दो साल या दो साल से ज्यादा की हुई। जैसे विधायक मुख्तार अंसारी, इन्हें माफिया राजनेता का तमगा हासिल है। हत्या, अपहण, फिरौती के कई आपराधिक केस इनके सिर पर दर्ज हैं। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के सिलसिले में दिसंबर 2005 में उन्हें जेल में डाला गया था। और इसके बाद जेल में रहते हुए ही मुख्तार ने मऊनाथ भंजन से विधानसभा चुनाव लड़़ा और जीता। अगर एक भी केस में आरोप साबित हुए और बड़ी सजा मिली तो नेताजी की विधायकगीरी चली जाएगी।
विधायक अमित शाह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के दाहिने हाथ और राज्य के पूर्व गृह राज्य मंत्री हैं। आजकल उत्तर प्रदेश में मोदी की अलख जगाने का काम मिला है। नेताजी का नाम सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में सुर्खियों में आया। इस एनकाउंटर को फर्जी बताया जाता रहा है और इसमें अमित शाह को आरोपी भी बनाया गया है। तीन महीने उन्हें जेल में भी रहना पड़ा और अभी जमानत पर रिहा होने के बाद से वो अपने स्वामी के हक में उत्तर प्रदेश में हवा बनाने में जुटे हैं। 2 साल की सजा मिली तो विधायक पद छिन जाएगा।
विधायक गुलाब चंद कटारिया राजस्थान में बीजेपी का एक और चेहरा हैं। कटारिया भी राजस्थान में बीजेपी की सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं, इनका नाम भी सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में उठा था और सीबीआई ने बाकायदा इन्हें भी आरोपी बनाया है। शिकंजा कसा, दोष साबित हुआ और सजा मिली तो विधायक पद भी गंवा बैठेंगे और इनके राजनीतिक जीवन पर ग्रहण लग जाएगा।
जाहिर है ऐसे में तमाम नेता ये मना रहे होंगे कि संसद इस फैसले की कोई काट तलाशे। चर्चा है कि सारी राजनीतिक पार्टियां पूरी जान लगा देंगी 2 साल या ज्यादा की सजा के प्रावधान को बदलवाने के लिए। कोशिश होगी कि 2 साल या ज्यादा के बजाय 5 साल या ज्यादा की सजा होने पर ही उनकी कुर्सी पर खतरा आए।