लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह आरोपी ही क्यों न हो, अदालत परिसर से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। पीठ ने कहा है कि कानून के द्वारा अपना बचाव करने का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को है, ऐसे में अदालत आने वाले व्यक्ति को अदालत के परिसर में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
अदालत ने एक अधिवक्ता सहित उनके मुवक्किलों को जबरन अदालत के सामने से गाड़ी में बैठाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए यह आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति महेन्द्र दयाल की पीठ ने याची अधिवक्ता पीके जायसवाल द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश दिए हैं।
याचिका में कहा गया है कि गत 17 मई को वह प्रेमी युगल के मामले में हाई कोर्ट के बाहर गेट पर पास बनवा रहे थे। तभी बहराइच के बौड़ी थाना के दारोगा तथा लड़की के घर वाले आए और प्रेमी युगल तथा उन्हें जबरन गाड़ी में खींचने लगे। विरोध करने पर तथा मौके पर उपस्थित वकीलों द्वारा बचाव करने पर याची उनके चंगुल से बच सके। अनेक मामलों में जब कोई व्यक्ति न्याय पाने के लिए अदालत आता है तो पुलिस वाले उसे घात लगाकर जबरन उठा ले जाते हैं तथा गिरफ्तार कर लेते हैं। मामले में अदालत ने सोमवार को पुलिस महानिदेशक को तलब किया था।
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पीठ ने सुनवाई के दौरान डीजीपी से जानकारी ली कि अदालत के सामने अथवा परिसर से लोगों को क्यों उठाया जाता है। डीजीपी व एसपी बहराइच विनय कुमार यादव ने पीठ को बताया कि बौड़ी थाने के दारोगा के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
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पीठ ने कहा कि इस मामले में सुनवाई अन्य पीठ के समक्ष विचाराधीन है इसलिए याचिका निरस्त की जाती है। पीठ ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी।