दिल्ली। देश में ऑनलाइन खरीद-फरोख्त और विज्ञापनों का दायरा अब मोबाइल, कार और रीयल एस्टेट तक ही सीमित नहीं रह गया है। कस्बों व ग्रामीण इलाकों तक इंटरनेट की पहुंच होने से अब इस पर गाय और भैंसों की खरीद-बिक्री के विज्ञापन भी दिए जाने लगे हैं।
क्विकर और ओएलएक्स जैसी ऑनलाइन विज्ञापन वेबसाइटें अपने कारोबार का बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कस्बाई और ग्रामीण इलाकों से हासिल कर रही हैं। इनके विज्ञापनों में मवेशियों के विज्ञापन तक शामिल हैं। छोटे सींगों वाली मुर्रा भैंसें 80 हजार रुपये और होलस्टीन फ्रेसियन्स ब्रीड की 10 गायें छह लाख रुपये की कीमत में उपलब्ध हैं। क्विकर के सीईओ प्रणय चुलेत ने कहा कि मेट्रो शहर अभी भी हमारी प्राथमिकता में बने हुए हैं लेकिन टियर टू और टियर थ्री शहरों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच से भी कारोबारी में खासी बढ़ोतरी हो रही है। इन शहरों की कंपनी के कारोबार में करीब 50 फीसद हिस्सेदारी है।
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ओएलएक्स के ज्यादातर उपयोगकर्ता मेट्रो शहरों में मौजूद हैं। यह कंपनी भी अब छोटे शहरों में पहचान बना रही है। कंपनी के सीईओ अमरजीत बत्रा ने कहा कि जयपुर, सूरत, कोचीन जैसे टियर टू शहरों में खासा सकारात्मक ट्रेंड देखा जा रहा है। इन वेबसाइटों पर उपयोगकर्ताओं को विभिन्न श्रेणी के उत्पादों की खरीद और बिक्री का अवसर उपलब्ध कराया जाता है। ऐसे में यह आश्चर्यजनक नहीं है कि किसान भी इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल अपने मवेशियों को बेचने और खरीदने में कर रहे हैं। बत्रा के मुताबिक लोग गायों और भैसों जैसे पालतू पशुओं के विज्ञापनों पर भी बेहतर रेस्पांस दे रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशियों का खासा बड़ा कारोबार है।
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चुलेत के मुताबिक इन विज्ञापनों पर जिस तरह का रेस्पांस मिल रहा है उससे साबित होता है कि लोग अपने पालतू मवेशियों को लेकर भी काफी सतर्क हैं। हमारी वेबसाइट पर कई पालतू पशुओं की खरीद-बिक्री हुई है, जबकि हमने इसके लिए सक्रिय तरीके से कोई प्रमोशन नहीं किया। देश में ऑनलाइन विज्ञापनों के कारोबार में तेज बढ़ोतरी का कारण इंटरनेट की बढ़ती पहुंच है। इसके अलावा ज्यादातर कंपनियां भारी मार्केटिंग खर्च से बचने के लिए इस विकल्प के इस्तेमाल को तवज्जो दे रही हैं।