फलों का सेवन हमारे बेहतर स्वास्थ्य निर्माण में काफी महत्वपूर्ण होता है। शहरीकरण के कारण अनेक देसी फलों की उपलब्धता कम होती चली गयी। फालसा भी ऐसा ही फल है जो अब बाजार में यदा-कदा ही देखने मिलता है। शहरों में ना जाने कितने लोग होंगे जिन्होने अब तक फालसा का फल देखा भी ना हो।
फालसा एक मध्यम आकार का पेड़ है जिस पर छोटी बेर के आकार के हल्के हरे रंग लिए फल लगते हैं, जो पकने पर बैंगनी काले रंग के हो जाते हैं। फालसा का फल अनेक मिनरल्स और कई प्रमुख रसायनों की खान है। इसका शर्बत पीने में बहुत स्वादिष्ट एवं पाचन शक्ति में वृद्धि करने वाला होता है। फालसा पश्चिम और मध्यभारत के वनों में प्रचुरता से पाया जाता है। फालसा का वानस्पतिक नाम ग्रेविया एशियाटिका है। इसके फल स्वाद में खट्टे-मीठे होते हैं। चलिए आज जानते हैं फालसा के औषधीय गुणों के बारे में और किस तरह आदिवासी इसका उपयोग विभिन्न देसी नुस्खों में करते हैं।
हृदय की कमजोरी की दशा में लगभग 20 ग्राम फालसा के पके फल, 5 कालीमिर्च, चुटकी भर सेंधा नमक, थोड़ा सा नींबू रस लेकर अच्छी तरह से घोट लिया जाए और इसे एक कप पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित रूप से पिया जाए तो हृदय की दुर्बलता, अत्यधिक धड़कन आदि विकार शान्त हो जाते हैं।
आदिवासी इसी मिश्रण को शरीर में वीर्य, बल वृद्धि के लिए उपयोग में लाते है। इन्ही आदिवासियों के अनुसार खून की कमी होने पर फालसा के पके फ़ल खाना चाहिए जिससे खून बढ़ता है।
अगर त्वचा में जलन हो तो फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। फालसा की पत्तियों को कुचलकर रस तैयार किया जाए और तालुओं और हथेली पर रगड़ा जाए तो जलन होना शांत हो जाती है।
यदि चेहरे पर निकल आयी फुंसियों में से मवाद निकलता हो तो उस पर फालसा के पत्तों को पीसकर लगाने से मवाद सूख जाता है और फुंसिया भी ठीक हो जाती हैं। गर्मियों में इसके फलों का शर्बत ठंडक प्रदान करता है और लू और गर्मी के थपेड़ों से भी आराम दिलाता है।
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लगातार हिचकी होते रहने पर फालसा का रस थोड़ा गर्म करके उसमें थोड़ा अदरक का रस और सेंधा नमक ड़ालकर पीने से हिचकी में आराम आ जाता है।
नाश्ते के साथ फालसा का रस 50 मि.ली. पीने से दिमाग की कमजोरी तथा सुस्ती दूर होती है, फुर्ती और शक्ति प्राप्त होती है। फालसा सारे शरीर में स्फूर्ति प्रदान करता है। सुबह-सुबह इसके रस का सेवन सारे दिन शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है।
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गर्भवती महिला के गर्भ में यदि बच्चा मर गया हो तो महिला के नाभि, बस्ति और योनि पर फालसे की जड़ का लेप करने से मृत बच्चा बाहर निकल आता है। हलाँकि इस फार्मुले के संदर्भ में किसी आधुनिक शोध से फार्मुले की सत्यता की जाँच नहीं हुई है।