नई दिल्ली. बीजेपी की फायरब्रैंड नेता और ‘संन्यासिन’ उमा भारती आध्यात्म के रास्ते पर चलने से पहले कई लोगों को पसंद करती थीं। इनदिनों ‘गाय’ और ‘गंगा’ के लिए आंदोलन चला रहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अंग्रेजी पत्रिका ‘द वीक’ को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया कि बीजेपी के पूर्व विचारक गोविंदाचार्य से प्यार करती थीं। इस इंटरव्यू में उमा भारती ने स्वीकार किया था, ‘हां, मैं उन (गोविंदाचार्य) से प्यार करती थी। मैं उनसे शादी भी करना चाहती थी। मैं उनका हर जगह पीछा करती थी और मुझे लगता था कि वह भी मुझसे प्यार करते हैं। हालांकि, उन्होंने मुझे कभी इस बारे में नहीं बताया। लेकिन गोविंदाचार्य ने अपनी भावनाएं बीजेपी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी और संघ के सरसंघचालक रहे भाऊराव देवरस के सामने जाहिर की थीं। इस बारे में भाऊराव ने मुझसे बात की थी और कहा था कि जनता और देश के लिए मुझे शादी नहीं करनी चाहिए। इसलिए मैंने शादी करने का खयाल ही दिल से निकाल दिया।’
इस इंटरव्यू के अलावा भोपाल में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, गोविंदाचार्य, अपने भाई स्वामी लोधी और मीडिया की मौजूदगी में हुए एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उमा भारती ने स्वीकार किया था कि वह 1992 में गोविंदाचार्य से शादी करने की तैयारी में थीं। उमा भारती ने कहा था कि आडवाणी जी ने भी उन्हें गोविंदाचार्य की उनसे शादी करने की इच्छा के बारे में बताया था। लेकिन उनके भाई स्वामी लोधी ने उमा को यह कहते हुए मना कर दिया था कि गोविंदाचार्य ‘सांवले’ रंग के हैं और ‘आकर्षक’ नहीं हैं।
मैंने उमा को प्रपोज किया था: गोविंदाचार्य
नागपुर में एक अखबार को दिए गए एक इंटरव्यू में गोविंदाचार्य ने माना था कि उन्होंने उमा भारती को शादी के लिए प्रपोज किया था। गोविंदाचार्य ने इस बारे में कहा था, ‘जब आरएसएस के कुछ साथियों ने ऐसे रिश्ते पर हामी भरी तो मैंने उमा भारती को प्रपोज किया था।’ हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का पछतावा है कि उमा से उनका रिश्ता मूर्त रूप नहीं ले पाया, तो गोविंदाचार्य ने कुछ भी कहने से मना कर दिया था।
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संन्यास से पहले कइयों को पसंद करती थीं उमा
द वीक को दिए गए इंटरव्यू में जब उमा भारती से यह पूछा गया कि क्या संन्यास से पहले वे किसी को पसंद करती थीं, तो बीजेपी की फायर ब्रैंड नेता ने जवाब दिया था, ‘हां, कई। लेकिन अब उनमें से सभी की शादी हो चुकी है और वे सभी खुश हैं। वे सभी समाज के ऊंचे तबके से ताल्लुक रखते थे। मैं भी एक मासूम लड़की थी।’ जीवन में अपनी इच्छा के बारे में उमा ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं नदी किनारे बने एक छोटे से घर में कुत्तों, गायों और चिड़ियों के साथ रहना चाहती हूं। मेरे पास एक मारूति भी होनी चाहिए।’
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उमा भारती के घर रहते थे बेघर गोविंदाचार्य!
उमा भारती ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में स्वीकार किया था कि उन पर लगे वे आरोप सही हैं, जिनमें कहा गया था कि गोविंदाचार्य उनके घर में रहते हैं। उमा ने कहा था, ‘मुझे जब यह पता चला कि गोविंदाचार्य का घर और गाड़ी उनसे छिन चुकी है तो मैंने उनसे संपर्क किया और अपने यहां ले आई। इस बाबत मैंने पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं से बात की थी।’ गोविंदाचार्य से मिलने के लिए केदारनाथ जाने के आरोपों पर उमा ने सफाई दी थी, ‘गोविंदाचार्य से मिलने के लिए, मुझे केदारनाथ जाने की जरुरत नहीं है। वे मुझसे मिलने भोपाल आते रहते हैं और मैं उनसे मिलने दिल्ली जाती रहती हूं। मेरी सलाह पर गोविंदाचार्य छह महीने की तपस्या के लिए वाराणसी गए थे और अब सरकार चलाने के लिए अहम सुझाव दे रहे हैं।’ गोविंदाचार्य ने भी एक इंटरव्यू में माना था कि वह भी केदारनाथ में थे, जहां उमा भारती और उनके परिवार के सदस्य भी वहां मौजूद थे। बकौल गोविंदाचार्य, ‘वहां हजारों भक्त थे। मैं भी उनमें से एक था। मुझे उमा जी से मिलने के लिए केदारनाथ जाने की जरुरत नहीं है।’
‘गोविंदाचार्य ने मेरे पांव छूकर गुरु कहा था’
कुछ साल पहले उमा भारती ने सार्वजनिक सभा में स्वीकार किया था कि गोविंदाचार्य उनसे शादी करना चाहते थे। बकौल उमा भारती, ‘गोविंद जी को पहली बार देखने के बाद मेरे भाई निराश हो गए थे। लेकिन मैंने उनसे कहा था कि वह आडवाणी जी से उन (गोविंदाचार्य) की खासियत पूछें। हालांकि, 17 नवंबर, 1992 को मैंने जब संन्यास लिया तो गोविंदाचार्य ने मेरे पांव छुए और मुझे अपनी गुरु कहा था।’ गोविंदाचार्य ने भी एक इंटरव्यू में कहा था, ‘चूंकि, उमा जी संन्यास ले चुकी हैं, इसलिए मैं उनका सम्मान करता हूं और उन्हें एक गुरु की श्रेणी में रखता हूं।’
उमा भारती
उमा भारती का जन्म मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में 1959 में हुआ था। ग्वालियर राजघराने की विजयराजे सिंधिया ने उनकी बहुत मदद की थी। छोटी उम्र से ही उमा भारती कथा वाचिका का काम करने लगी थीं और उनका मन आध्यात्मिकता में ज्यादा लगता था। इसी बीच वे बीजेपी से जुड़ गईं। 1984 में उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। लेकिन 1989 में उन्हें खजुराहो लोकसभा सीट पर जीत हासिल हुई और 1991, 1996 और 1998 के चुनावों में वे यहां से जीतीं।
उमा भारती ने 1992 में अयोध्या आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। इस मामले में उनके खिलाफ आज भी मुकदमा चल रहा है। 1999 के लोकसभा चुनाव में उमा ने अपनी सीट बदलते हुए भोपाल से चुनाव लड़ा और जीतीं। इसके बाद वे वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहीं। 2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती की अगुवाई में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी। लेकिन अगस्त, 2004 में जब 1994 के हुबली दंगे से जुड़े एक केस में उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट जारी हुआ तो उन्हें अपनी सीट छोड़नी पड़ी थी। लेकिन आडवाणी और शिवराज सिंह चौहान की आलोचना के चलते बीजेपी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। 7 जून, 2011 को बीजेपी में उनकी वापसी हुई थी और उन्हें यूपी में पार्टी को मजबूत करने और गंगा बचाओ अभियान की अगुवाई करने का जिम्मा सौंपा गया। मार्च, 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उमा भारती ने महोबा जिले की चरखारी विधानसभा सीट जीती थी।
गोविंदाचार्य
के. एन. गोविंदाचार्य इनदिनों ‘राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन’ नाम का संगठन चला रहे हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी वैचारिक तौर पर जुड़े हुए हैं। वे ‘जल, जमीन और जंगल’ के सिद्धांत का प्रचार कर रहे हैं। गोविंदाचार्य ने अटल बिहारी वाजपेयी को बीजेपी को ‘मुखौटा’ कहा था। उसके बाद दोनों नेताओं के रिश्तों में खटास आ गई थी। 2000 में गोविंदाचार्य ने सक्रिय राजनीति से अध्ययन अवकाश लिया था और 2003 में पार्टी को अलविदा कह दिया था। गोविंदाचार्य का जन्म तिरुपति में हुआ था। लेकिन वे बचपन में ही वाराणसी आ गए थे। उन्होंने बीएचयू से 1962 में एमएससी की थी। इसके बाद वे संघ के प्रचारक बन गए थे। गोविंदाचार्य ने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था। 1988 में वे बीजेपी में औपचारिक तौर पर शामिल हो गए और 2000 तक पार्टी के महासचिव रहे।