लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित स्कूल जुलाई से शुरू होने वाले नये शैक्षिक सत्र में भी शिक्षकों की जबर्दस्त कमी से जूझेंगे। उम्मीद थी कि 72,825 रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती होने से नये सत्र में स्कूलों में अध्यापकों की कमी का दंश कम होगा लेकिन मामला अदालत में उलझ जाने से यह उम्मीद भी जाती रही। अगली सुनवाई जून में होनी है| जुलाई के पहले सप्ताह में उत्तर प्रदेश सरकार को जबाब देने का समय दिया गया है|
वैसे सवाल इस बात पर भी उठता है कि गैर राजस्व उत्पादक शिक्षक भर्ती कार्यक्रम में सरकार इसलिए संजीदा नहीं है क्यूंकि प्राथमिक शिक्षा के बच्चे वोटर नहीं होते| और कहीं गाँव देहात के बच्चे पढ़ लिख गए तो समझदार हो जायेंगे और राजनीतिज्ञों की असलियत समझने लगेंगे| चाहे बसपा हो या सपा दोनों ही सरकारे प्राथमिक शिक्षा में सुधार की और कोई खास कदम उठती नहीं दिखी| शायद सबसे बड़ी उदासीनता इसलिए भी कही जा सकती है क्योंकि भर्ती प्रक्रिया ऑनलाइन होने के कारण भर्ती से सम्बन्धित लोगो को घूस मिलती नहीं दिखाई पड़ी| क्योंकि यूपी में कोई सरकारी नौकरी की भर्ती हो और उसमे घूस न मिल पाए तो कुछ लोगो को कष्ट तो होता ही है| यूपी में भर्ती होने की सूचना जारी होते ही बेरोजगारों से ज्यादा नौकरी देने वाले उन अफसरों और नेताओ की बाछे खिल जाती है जिनकी कलम से या जिनके आदेश पर नौकरी मिलनी हो| ये कडुआ सच है| लेखपालो की नौकरी निकलने वाली है और लोग कितने लाख लगेंगे इस पर चर्चा करने लगे है|
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परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के लगभग पौने तीन लाख पद खाली हैं। इनमें प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के दो लाख से अधिक पद हैं। इसके अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 58 हजार से अधिक पद खाली हैं। शिक्षक न होने के कारण जहां कुछ विद्यालय बंद हैं, वहीं कई स्कूल एक अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। सरकार की मंशा है कि शिक्षकों के 72,825 रिक्त पदों पर भर्ती कर इस कमी को कुछ हद तक पूरा कर लिया जाए। शिक्षकों के 72,825 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए वर्ष 2010 से जिद्दोजहद चल रही है लेकिन अभी तक यह अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पायी है। शिक्षक भर्ती के लिए नवंबर 2011 में आयोजित टीईटी पर भ्रष्टाचार का ग्रहण लगने और 2012 के विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लग जाने के कारण उस समय यह भर्ती नहीं हो सकी। इसके बाद काफी समय बीएड डिग्रीधारकों को शिक्षक नियुक्त करने के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से समयसीमा बढ़वाने में लग गया।
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समयसीमा को 31 मार्च 2014 तक बढ़ाने के बाद जब इस साल 72,825 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई तो मामला हाइ कोर्ट में पहुंच गया। अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी कर ली है और अपने निर्णय को सुरक्षित कर लिया है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अदालत का फैसला यदि शासन के पक्ष में भी आता है तो भी जुलाई से शुरू होने वाले नये सत्र से पहले 72,825 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर पाना मुमकिन नहीं है। इसलिए परिषदीय स्कूलों में नये सत्र का आगाज शिक्षकों की किल्लत से होना तय है।