सरबजीत की मौत पर सिंकती राजनीति की रोटियां

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दिल्ली: सरबजीत की मौत पर विपक्षी दलों और मुख्य रूप से भाजपा द्वारा राजनैतिक लाभ के लिये जिस प्रकार की बयानबाजी की जा रही है वह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण ही कही जायेगी। भारत सरकार व Paramjitसरकार ने जिस प्रकार सरबजीत के प्रकार से आगे बढ़ कर सहारा दिया या सरबजीत के पार्थिव शरीर को भारत वापस लाने में कूटनीतिक तत्परता का परिचय दिया उसके बाद केवल वोटबैंक की राजनीति के लिये इस प्रकार की बयानबाजी और भी औचित्यहीन हो जाती है। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की अपनी सीमायें होती हैं, अन्यथा अटल बिहारी बाजपेयी भी अपने कार्यकाल में सरबजीत को रिहा करा सकते थे।
भारत सरकार ने सरबजीत को भारत वापिस लाने के लिए पूरी कोशिश की, लेकिन पाकिस्तानी कानून की वजह से नाकाम रही। विदेश राज्य मंत्री प्रणीत कौर ने कहा कि भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत पर स्यासत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरी हो तो निरपक्ष जांच की भी मांग की जाएगी। पंजाब सरकार की तरफ से परिवार की मदद और सरबजीत के पार्थिव शरीर को राजकीय सन्मान देने के फैसले का स्वागत किया।
विदेश राज्य मंत्री प्रणीत कौर ने कहा कि सरबजीत के परिवार की मदद करनी चाहिए लेकिन विपक्षी दलों को इसका राजनितिक लाभ उठाने के लिए नकारात्मक भूमिका नहीं निभानी चाहिए।
हालांकि परनीत कौर ने पंजाब सरकार की तरफ से परिवार की मदद करने और सरबजीत का अंतिम संस्कार राज्य सन्मान के साथ करने की सराहना की है। परनीत कौर का मानना है कि सरबजीत सिंह को वापिस लाने के लिए भारत सरकार पाकिस्तान न्यायिक प्रणाली के आगे बेबस रही।