FARRUKHABAD : प्रदेश में पूर्व में रही बसपा सरकार के कार्यकाल में चलायी गयी काशीराम आवास योजना में अपात्रों को किये गये भवन आवंटन के घोटाले को उजागर करने के लिए सूचनायें एकत्रित करने के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट शमसाद हुसैन को विभागीय अधिकारियों के अलावा उच्चाधिकारियों द्वारा दर दर भटकाया जा रहा है। फंसता देख उच्चाधिकारियों ने तो मामले से पल्ला ही झाड़ते हुए मामला उनसे सम्बंधित न होने की बात कहकर टाल दिया।
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शहर के मोहल्ला खटकपुरा सिद्दीकी निवासी शमसाद हुसैन पुत्र स्व अजीज हुसैन बीते वर्षों से सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काशीराम कालोनी में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। लेकिन उनके द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी सूचनायें अधिकारियों द्वारा स्पष्ट न देकर उलझाया जा रहा है। शमसाद हुसैन ने परियोजना अधिकारी जिला नगरीय विकास अभिकरण से सूचनायें मांगी थीं कि काशीराम शहरी गरीब योजना के अन्तर्गत गढ़िया हैवतपुर एवं नगर पालिका के पीछे स्थित कालोनी तथा नगला बंधौआ तीनो कालोनियों के लिए कुल कितने आवेदन कार्यालय को प्राप्त हुए। आवास स्वीकृति पत्र 1500 लोगों को जारी किये गए अथवा समस्त आवेदनकर्ताओ को जारी किये गये। समस्त स्वीकृत पत्र जारी करने से पूर्व आवेदक के पत्रावलियों की जांच की गयी अथवा बिना जांच के स्वीकृति पत्र जारी किये गये।
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राज्य सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार 23 प्रतिशत 345 आवास अनुसूचित जाति/जनजातियों को आवंटित कालोनियों का ब्लाक वार विवरण सहित, अनुसूचित जाति/जनजातियों के आवेदन पत्र, जाति प्रमाणपत्र पात्रता के सम्बंध की फोटो प्रति/अवलोकन की अनुमति। 27 प्रतिशत पिछड़े वर्गों को जारी 310 आवास आवंटित कालोनियों का विवरण, पिछड़ी जातियों के आवेदन पत्र गरीबी रेखा से नीचे रहने का प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र की फोटो प्रति/अवलोकन की अनुमति।
50 प्रतिशत यानी 845 आवास में कितनी निराश्रित विधवाओं को कालोनी आवंटित की गयी उसकी संख्या विवरण निराश्रित विधवाओं के आवेदन पत्र एवं विधवा प्रमाणपत्र की फोटो प्रति। कितने निराश्रित विकलांगों को कालोनी आवंटित की गयी उनका विवरण। गरीबी रेखा से नीचे रह रहे आवंटियों के प्रमाणपत्र। नये आवेदन पत्रों को जमा करके कालोनी आवंटित करने हेतु पात्र 64 अभ्यर्थियों के नाम व अन्य पत्रावलियां उपलब्ध कराने की बात की थी। लेकिन विभाग द्वारा उन्हें कोई सूचना नहीं दी गयी।
जिसके बाद राज्य सूचना आयोग ने जिलाधिकारी के माध्यम से सूचना मांगी। जिसके बाद जिलाधिकारी ने महज यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला डूडा के परियोजना अधिकारी का है कि तो सूचनायें भी डूडा से ही मांगिये। जबकि डीएम डूडा के अध्यक्ष होने के साथ-साथ आरटीआई के भी जनपद अध्यक्ष हैं। लेकिन लगातार आरटीआई एक्टिविस्ट धक्के खा रहा है।