नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 17 करोड़ रुपये के ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ बिना राज्यपाल की अनुमति के मुकदमा चलाए जाने संबंधी याचिका पर मायावती से जवाब तलब करते हुए आज नोटिस जारी किया। इस मामले में कोर्ट ने मायावती के अलावा केंद्र सरकार, यूपी सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में उनके जवाब मांगे हैं|
गौरतलब है कि इस घोटाले में राज्यपाल टी वी राजशेखर ने मायावती और माया सरकार में शामिल मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की साजिश रचने के आरोपों पर मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया था। याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि बिना राज्यपाल की इजाजत के इस मामले में केस क्यों न चले। [bannergarden id=”8″]
याचिकाकर्ताओं का दावा है कि इस मामले में राज्यपाल की इजाजत के बगैर भी केस चल सकता है। ताज कॉरिडोर घोटाले में जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने मायावती के पुराने कैबिनेट सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीकी को भी नोटिस भेजा है। वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कहा कि यह चौथी बार है जब इस प्रकार का विवाद खड़ा हुआ है। हाई कोर्ट ने ताज कॉरिडोर मामले में बसपा सुप्रीमो के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की मांग करते हुए दायर की गई कई याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनमें कोई दम नहीं है।
क्या है ताज हेरिटेज कॉरिडोर मामला-
दरअसल, साल 2002 में ताज कॉरिडोर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। उस वक्त बसपा पार्टी सत्ता में थी। यह प्रोजेक्ट 175 करोड़ का था। इस प्रोजेक्ट में ताजमहल से लेकर आगरा फोर्ट तक के दो किलोमीटर के रास्ते पर एक गलियारा बनाने की भूमिका तैयार की गई थी। इस हेरिटेज कॉरिडोर में शॉपिंग कॉम्पलेक्स, टूरिस्ट कॉम्पलेक्स, एम्यूजमेंट पार्क और रेस्त्रां बनाए जाने का मैप भी तैयार किया गया था। इस नवनिर्माण गलियारे के लिए शुरुआती 17 करोड़ की रसीद जारी भी की जा चुकी थी लेकिन पर्यावरण विवाद के चलते काम को बीच में ही रोक दिया गया|
ऐसा माना जा रहा था कि इस गलियारे के निर्माण कार्य से भारत की चर्चित और ऐतिहासिक इमारत ताजमहल को खतरा है। साथ ही यह भी अनुमान लगाया गया कि इमारत के पास से गुजरने वाली पवित्र यमुना नदी के अस्तित्व को भी बेहद खतरा है क्योंकि नये निर्माण के लिए नदी के किनारों को मिट्टी-पत्थर से भरना पड़ता, जिससे नदी की चौड़ाई कम हो जाती।
मालूम हो कि यह प्रोजेक्ट पहले ही कानून की अनदेखी करके तैयार किया गया था क्योंकि भारतीय संविधान के अनुसार, ताजमहल के 300 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण अवैध माना जाता है। पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बगैर ताज कॉरिडोर योजना में 17 करोड़ रुपये जारी करने के घोटाले पर 2003 में एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को ताज हेरिटेज कॉरिडोर मामले की जांच करने को कहा था।