कायमगंज: तहसील कायमगंज में बन रहे आय, जाति और अधिवास प्रमाण पत्रों के कार्य के दौरान चल रही प्रक्रिया में उस समय प्रक्रिया पर ही प्रश्न चिन्ह लग गया। जब आय प्रमाण पत्रों को सक्षम अधिकारी के समक्ष हस्ताक्षरों के लिए भेजते समय सम्बन्धित बाबू को एक प्रमाण पत्र में लगी मोहरों और हस्ताक्षरों पर फर्जी होने का शक हुआ। सम्बन्धित बाबू ने प्रमाण पत्र की मोहरों और हस्ताक्षरों की जब तस्दीक की। तो पता चला कि न तो मोहरें असली हैं और न ही हस्ताक्षर। मामले की गंभीरता को देखते हुए सम्बन्धित बाबू ने प्रकरण उपजिलाधिकारी राकेश कुमार पटेल के समक्ष रख दिया। उपजिलाधिकारी ने इस फर्जीवाडे के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करा दी है।
तहसील में बन रहे आय प्रमाण पत्रों को लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट लगने के पश्चात् हस्ताक्षरों के लिए तहसीलदार कायमगंज के समक्ष पेश किया जाता है। प्रमाणपत्रों को पेश करने की जिम्मेदारी सम्बन्धित बाबू कुल्दीप सक्सेना की है। मंगलवार को जब तहसीलदार के हस्ताक्षरों के लिए प्रमाण पत्र आवश्यक कार्यवाहियों की जांच करते हुए जब कुल्दीप सक्सेना की नजर एक ऐसे प्रमाण पत्र पर पड़ी जिस पर लगी मोहरें एवं हस्ताक्षरों में भिन्नता थी। मोहरों और हस्ताक्षरों में भिन्नता देखकर कुल्दीप सक्सेना को शक गुजरा और उन्होने प्रमाण पत्रों पर लगी मोहरों और हस्ताक्षरों की पुष्टि जब कानूनगो नबावगंज चतुर्भुज से और लेखपाल कुरार अशोक कुमार से की तो दोनों ने हस्ताक्षरों और मोहरों के असली होने से इंकार कर दिया। और कहा कि यह प्रमाण पत्र उनके यहां से नहीं बना है। प्रमाण पत्र जोकि सुरेन्द्र सिंह पुत्र वीरेन्द्र सिंह निवासी गणेशपुर के नाम से 35,000 रूपये बार्षिक दर्शाकर फर्जी तौर पर तैयार करके तहसीलदार से हस्ताक्षरों के लिए भेजा जाना था। इस फर्जी प्रमाण पत्र को लिपिक कुल्दीप सक्सेना ने उपजिलाधिकारी कायमगंज राकेश कुमार पटेल के सामने रखते हुए उन्हें पूरी वस्तु स्थिति से अवगत कराया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए उपजिलाधिकारी ने इस फर्जीवाडे के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करा दी है।