प्रमाणपत्रों के गोरख धन्धे में फंसे लेखपालों को बचाने कूदा संघ, बंद दरबाजों के पीछे बैठक

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फर्रुखाबाद: आय, जाति व मूलनिवास प्रमाणपत्रों को बनाने में लेखपालों द्वारा किये जा रहे गोरख धन्धे की खबरें मीडिया में छपने के बाद, अपने भी दामन पर छींटें पड़ते देख आखिर प्रशासनिक अधिकारियों ने आधा दर्जन लेखपालों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिये थे। अब इस नूरा कुश्ती में प्रशासन पर दबाव बनाने के उपक्रम के तौर पर लेखपाल संघ ने सक्रिया दिखानी शुरू कर दी है। शुक्रवार को तहसील सदर स्थित सरकारी सभागार में लेखपाल संघ की बैठक का होना अपने आप में राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत, या यूं कहें कि नूरा-कुश्ती का जीता जागता प्रमाण है। आखिर एसडीएम द्वारा जारी नोटिसों के विरोध में हुई लेखपाल संघ की बैठक के लिए तहसील सदर स्थित सरकारी सभागार के दरबाजे किसकी अनुमति से खोले गये?  और उसमें प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्व हुई गुप्त बैठक की अनुमति किसने दी?

विदित है कि कन्या विद्या धन व बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए भटक रहे गरीब छात्राओं और बेरोजगार युवकों के साथ ठगी का खेल खेल रहे राजस्व कर्मियों और शिकायतों के बावजूद चुप्पी साधे बैठे अधिकारियों के विरुद्व जब मीडिया और विशेषकर जेएनआई पर खबरों के छपने का सिलसिला शुरू हुआ तो बौखलाहट होना स्वाभाविक था। आनन फानन में उपजिलाधिकारी सदर बीडी वर्मा ने राजेश कुमार सागर, राम सिंह, सोरन सिंह, अनूप कुमार मिश्रा, रामशंकर, प्रमोद कुमार शुक्ला व महेन्द्र पाण्डेय जैसे आधा दर्जन लेखपालों को नोटिस जारी कर जबाव तलब कर लिया है। यद्यपि जेएनआई पोर्टल पर छपे समाचारों में इतने अभिलेखीय प्रमाण उपलब्ध थे कि जिनके आधार पर सम्बंधित लेखपालों को सीधे आरोप पत्र दिया जा सकता था।

उपजिलाधिकारी द्वारा की गयी इस कार्यवाही के उपक्रम के विरोध में शुक्रवार को लेखपाल संघ की एक बैठक का आयोजन तहसील सदर के सरकारी सभागार में किया गया। बंद दरबाजों के पीछे हुई इस बैठक के बाद जारी प्रेसनोट में प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों और निर्णयों पर अनेकों प्रश्नचिन्हं लगे हैं उनके अलावा जो खबरें छनकर आयीं हैं उनके मुताबिक इस बैठक में लेखपालों ने वाकायदा मीडिया से मोर्चा लेने की भी रणनीति बनायी है, सूत्रों की मानें तो लेखपाल संघ के नेताओं ने साथियों को इस साजिश में आला अधिकारियों का वरद्-हस्त प्राप्त होने तक की बात कही है। आगामी दिनों में यदि कोई हिंसक बारदात होती है तो उसमें इस बैठक के योगदान को भी गिना जायेगा। सवाल यह भी है कि तहसील सदर स्थित सरकारी सभागार में लेखपाल संघ की बैठक के आयोजन की अनुमति आखिर किस सक्षम अधिकारी ने दी?  कन्या विद्याधन के लिए भटकतीं बच्चियों और बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए भटकते बेरोजगार युवकों से हो रही खुली लूट में राजस्व कर्मियों और अधिकारियों के बीच की मिलीभगत उजागर होने के बाद शुरू हुआ ये नूरा कुश्ती का दौर नहीं तो और क्या है?