फर्रुखाबाद: शहर क्षेत्र में आवारा जानवरों का प्रकोप दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते न वह खेतों में फसल पैदा होने देते हैं और न ही रेलवे लाइन या सड़क पर अपना अधिपत्य छोड़ पा रहे हैं। जिसमें कहीं न कहीं मुख्य भूमिका स्थानीय नागरिकों की भी है। जो उनका दूध निकालने के बाद उन्हें खुला छोड़ देते हैं और बाद में यही आवारा पशु किसी न किसी घटना को अंजाम देने में अपनी भूमिका अदा करते हैं। बीते कुछ दिनों पूर्व ही भकरामऊ क्रासिंग के निकट पांच गायें ट्रेन की चपेट में आने से कट गयीं थीं और दो घायल हो गयीं थीं। जिससे ट्रेन पलटते पलटते बची। घटना के बाद भी प्रशासन का ध्यान आवारा पशुओं की तरफ नहीं गया। धड़ल्ले से आवारा पशु अपनी मर्जी से सार्वजनिक व गैर सार्वजनिक जगहों पर विचरण करते नजर आ रहे हैं।
एक तरफ जहां किसान अपनी फसल के नुकसान के लिए सर पकड़कर बैठा है कि रात होते ही यह पशु खेतों में घुसकर पूरे के पूरे खेत चट कर जा रहे हैं जिससे किसान कर्जे के आने की स्थिति में आ गया है। वहीं दूसरी तरफ यही पशु सातनपुर मण्डी के अलावा तिकोना सब्जीमण्डी, लालदरबाजे, घटियाघाट, भकरामऊ आदि जगहों पर भारी मात्रा में विचरण करते नजर आते हैं और आये दिन नई दुर्घटनाओं को जन्म देने में अपनी भूमिका अदा करते हैं। बीते कुछ दिनों पूर्व हुए ट्रेन दुर्घटना में मारी गयीं पांच गायों का प्रशासन ने पोस्टमार्टम तो करा दिया लेकिन समस्या से कोई निजात दिलाने में भूमिका अदा नहीं की। आज भी प्रतिदिन यही आवारा पशु रेलवे लाइनों पर सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में घूमते नजर आ रहे हैं। लेकिन प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं है।
वर्ष में कई घटनायें सिर्फ आवारा पशुओं के द्वारा ही होती हैं। जिसमें या तो सड़क पर वाहन पशुओं से टकराते हैं या रेलवे ट्रेक पर अचानक आवारा पशु के आ जाने से ट्रेन चालक को हजारों की संख्या में बैठे यात्रियों की जान बचाने के लिए मुसीबत आ जाती है। स्थानीय लोगों की भूमिका भी इनमें महत्वपूर्ण है जो इन जानवरों का दूध निकालने के समय ही पकड़ते हैं और बाद में इन्हें छोड़ दिया जाता है। लापरवाही और कामचोरी में अपना इतिहास बना चुकी शहर की नगर पालिका जब नाले ही साफ नहीं करा पा रही तो आवारा पशुओं को पकड़ने की बात ही बहुत दूर है। फिलहाल इस समस्या का समाधान प्रशासन निकालने के मूड़ में नहीं दिख रहा है।