अगर आप नए घर में प्रवेश करना चाह रहे हों या बच्चे का नामकरण करना, उसे जल्द पूरा कर डालें, क्योंकि कुछ दिनों बाद शुभ कार्यो में पुन: ब्रेक लग जाएगा। फिर इसके लिए लंबा इंतजार करना होगा। पुरुषोत्तम माह के समापन के साथ ही 17 सितंबर से मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं। इसमें दिक्कत की बात यह है कि यह शुभ अवसर अधिक दिनों तक नहीं रहेगा, क्योंकि जल्द ही पितृपक्ष शुरू होने पर मांगलिक कार्यो में पुन: ब्रेक लग जाएगा।
भारतीय विद्या भवन में ज्योतिष विभाग के प्राचार्य आचार्य त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, पुरुषोत्तम माह के समापन के बाद मुंडन, कर्ण छेदन, नामकरण, गृहप्रवेश और यज्ञोपवीत संस्कार के साथ सगाई की जा सकती है, परंतु गुरू एवं शुक्र के अस्त होने से विवाह नहीं किया जा सकता। इसके बाद एक अक्टूबर से पितृपक्ष शुरू हो जाने से मांगलिक कार्य रुक जाएगा। यह स्थिति 15 अक्टूबर तक रहेगी।
अखंड सौभाग्य का प्रतीक हरितालिका तीज व्रत
महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला व्रत ‘हरितालिका तीज’ मंगलवार को होगा। इसमें सुहागिन महिलाएं पति की सलामती और युवतियां योग्यवर की कामना के लिए निर्जला व्रत रखकर शंकर-पार्वती का पूजन करती हैं। मान्यता है कि हरितालिका तीज व्रत रखने वाली महिलाओं के सुहाग की रक्षा स्वयं महादेव करते हैं।
ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय के अनुसार, हरितालिका तीज के पूजन का सबसे उत्तम समय शाम 6.40 से रात 10.53 बजे तक है। शाम 6.40 से 7.17 बजे तक मीन लग्न, शाम 7.18 से रात 8.56 बजे तक मेष लग्न और रात 8.57 से 10.53 बजे तक देवगुरु वृहस्पति की दृष्टि धर्मभाव पर रहेगी। इस दौरान की गई पूजा पूर्णता को प्राप्त होगी और साधक की हर इच्छा पूरी होगी।
ऐसे करें पूजन
निर्जला व्रत रखकर दोपहर बाद गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। फिर एक चौकी पर मिट्टी से बनी गौरी, गणेश एवं शंकरजी की प्रति स्थापित करें। इसमें सुहाग का सारा समान चढ़ाएं। धूप, फूल, अक्षत अर्पित करके हरितालिका व्रत कथा का पाठ करें।