सरकारी दफ्तरों में घूसखोरी में सबसे बड़ा हाथ जनता का है| इस घूसतंत्र में उस दफ्तर से जुड़े दलाल इस काम को बढ़ावा देते हैं और उसमे अपना हिस्सा पाते है| जेएनआई के दफ्तर में रविवार दोपहर फर्रुखाबाद का एक नागरिक फोन करता है| और सवाल पूछता है कि जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी ने जमीनों के सर्किल रेट बढ़ाए इस पर जेएनआई का क्या कहना है? सवाल पड़ा पेचीदा नहीं था मगर मीडिया आमतौर पर अपनी राय कम छापती है इसलिए जबाब देने में 15 सेकण्ड का समय लग गया| फोन करने वाला क्या कहना या जानना चाहता है? वो जेएनआई से क्या सुनना चाहता है? कुछ अधूरा सा जबाब उसे दिया कि प्रशासनिक अधिकारी है कुछ सोच कर रेट बढ़ाए होंगे, मेरा इस पर कोई खास अध्यन नहीं इसलिए कुछ कह नहीं सकता| हो सकता है ठीक ही किया हो|
उधर से जबाब आया कि इससे राजस्व की बढ़ौत्तरी होगी इसलिए ठीक किया मगर अब नए भाव पर जब बैनामे शुरू हो गए हैं तो रजिस्ट्री कार्यालय में लगने वाली 2% घूस क्यूँ नहीं बंद हुई? फोन करने वाले से उसका परिचय पूछा तो उस शख्स ने परिचय में सिर्फ अपने आपको फर्रुखाबाद का नागरिक बताया| इससे अधिक हमने पूछा भी नहीं| आज भी लोग विचार तो रखते है खुल कर खेलने में डरते है| कोई बात नहीं हम भावनाओं की कद्र करते है| जितना सोचा, जे एन आई से इस विषय को उठाने की उम्मीद में फोन किया, यही कम नहीं है|
इस वक़्त निश्चित रूप से दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल का पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस और यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गाँधी का घर घेरने का आन्दोलन आन्दोलन वो शख्स देख रहा होगा| आज रविवार 26 अगस्त 2012 है देश में भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ कोयला खदान आवंटन घोटाले में हाथ काले होने का हल्ला मचा हुआ है| सीएजी की रिपोर्ट कहती है कि लगभग 2 लाख करोड़ का देश का नुकसान| बेशर्म सरकार अपनी संस्था की उस रिपोर्ट को ख़ारिज करती है जो उस पर ऊँगली उठा रही है| इसी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता टीम अन्ना के सदस्य अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार नाक में दम कर दी| लगभग सभी टीवी चेनेल पर ये कार्यक्रम सीधा प्रसारित हुआ| करोडो लोगो ने रविवार के दिन इस कार्यक्रम/क्रांति का आन्दोलन देखा| अन्दर की भावनाए जागी और एक नागरिक ने मीडिया को फोन लगाया| यानि चिंगारी फूट चुकी है केवल हवा लगने की देर है| उस शख्स का मीडिया को अमुक मुद्दा उठाने के लिए फोन करना वर्तमान व्यवस्था के प्रति असंतोष और मीडिया पर बचा खुचा भरोसा ही है| उस शख्स में इस मुद्दे को उठाने और जिलाधिकारी तक बात पहुचाने के लिए इच्छा जाहिर की| उसका भरोसा वर्तमान जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी पर भी है|
वार्ता में वो अनजान शख्स जिसका मोबाइल नंबर मेरे मोबाइल में दिख रहा था, बोला जब डीएम साहब घूस में हिस्सा लेते नहीं और बढ़े सर्किल रेट पर बैनामे में फीस चुकानी पड़ रही है, तब रजिस्ट्री दफ्तर में 2% की घूस बंद हो जानी चाहिए| उस शख्स ने बताया कि उसने तीन चार दिन पहले बैनामा कराया था| जब उसके वकील ने घूस की रकम देने को कहा तो वो उखड गया| उस शख्स ने बताया कि उसने तो घूस नहीं दी मगर जो आम आदमी जागरूक नहीं है वे नहीं बच रहे है| अब जेएनआई की बारी थी बोलने की- ये घूस किसने देने को कहा था? जबाब मिला ‘वकील साहब’ ने| हमने पूछा वकील साहब ने सर्किल रेट बढ़ने के खिलाफ एक महीने तक हड़ताल की, सारे घोड़े खोल दिए सर्किल वापस करने के लिए कभी उनसे भी कहना कि इस 2% की घूस के खिलाफ इतनी लम्बी हड़ताल क्यूँ नहीं करते? आम आदमी को बढ़े राजस्व पर कर चुकाने में कोई कष्ट नहीं है| सबसे बड़ा नुकसान जमीन माफियाओं का है जिसमे कुछ वकील, लेखपाल और नेता शामिल है| पूरी बातचीत के बाद मुझे एहसास हुआ कि आम आदमी को सर्किल रेट के बढ़ने से इतना कष्ट नहीं जितना उस 2% घूस से है| फोन करने वाला शख्स बोला वकील उसके खिलाफ इसलिए हड़ताल नहीं करते क्यूंकि उसमे से 1% हिस्सा उन्ही का होता है|