फर्रुखाबाद: पिछले कई महीनों से तहसील के कर्मचारियों के लिए आय, जाति व निवास प्रमाणपत्र बनाने का काम सिरदर्द बना हुआ है। छात्रों ने तहसील में खूब हंगामा काटा, दलालों की मौज रही। लेखपाल भी मौका देखकर चौका लगाने में नहीं चूके। काफी दिन चले हंगामे के बाद आखिर तहसील में कम्प्यूटराइज्ड प्रमाणपत्र बनाने का काम शुरू हुआ तो जगह-जगह लोकवाणी केन्द्र खोल दिये गये। पिछले महीनों में तो कर्मचारी शाम ढलते ही अपना बस्ता दबाकर रफूचक्कर हो लेते थे लेकिन अब देर रात तक प्रमाणपत्र जारी करने के लिए तहसीलदार व उनके कर्मी तहसील में कप्यूटर की स्क्रीन के सामने नजरें गड़ाये देखे जा सकते हैं।
आय, जाति व मूलनिवास प्रमाणपत्रों की सबसे अधिक मांग बेरोजगारी भत्ता पाने वालों की और वजीफा के लिए है। जहां हर वर्ग का व्यक्ति बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए बेकरार दिख रहा है। चाहे वह सरकारी अध्यापक की पत्नी हो या किसी धन्नासेठ की बेटी, सभी अपने-अपने को बेरोजगार महसूस करके फार्म जमा करने की लाइनों में देखे जा सकते हैं। यही बजह है कि हकीकत में बेरोजगारी भत्ता पाने वाले शायद इस योजना से महरूम ही न हो जायें। बेरोजगारी भत्ता के लिए सबसे ज्यादा आय प्रमाणपत्र महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जिसमें लेखपाल फिर भी अपनी चांदी किये हुए है। लेखपाल ने बाकायदा अपने चेले पाल रखे है जो वसूली का कार्य कर रहे हैं| नगर क्षेत्र में लेखपाल कोतवाल सिंह यादव का चेला 300 रुपये मांगते जेएनआई के ही शिकंजे में फस गया| जब कोतवाल सिंह से बात हुई तो कबूले कि उन्होंने भेजा तो था मगर ये कहा था जो मिले ले लेना मांगना नहीं| लेखपाल और उनके लोगों के घरों में जाकर दो चार सौ रुपये में ही 90 हजार की आमदनी को 24 हजार में तब्दील करने की काबलियत रखते हैं। ऐसे कई केस संज्ञान में भी आये हैं। ज्यादा से ज्यादा संख्या में जारी करने के बाद प्रमाणपत्रों को फाइनल रिपोर्ट लगाने में अब हजारों की संख्या में फार्म तहसीलदार के सिरदर्द बन गये हैं। देर रात तक तहसीलदार कर्मचारियों के साथ बैठकर प्रमाणपत्रों को जारी करने की आपाधापी में लगे हुए हैं। प्रति दिन हजारों की संख्या में प्रमाणपत्र जारी भी किये जा रहे हैं। वहीँ लेखपालो में पुरानी घूसखोरी की आदते अभी नहीं छोड़ी है| फर्मो को डम्प कर उन पर वसूली अभियान की जुगाड़ चल रही है| लाखो रुपये रिश्वत के खर्च कर तबादले पर आये लेखपाल रिश्वतखोरी के चक्कर में प्रमाण पत्र जारी करने में संकोच कर रहे है|
फार्मो को आन लाइन मानीटर कर रहे जिलाधिकारी
अधिक से अधिक प्रमाणपत्र जारी हो जायें इस बात पर पैनी निगाह जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी बी द्वारा भी रखी जा रही है। कितने फार्म आये हैं, कितनों का सत्यापन हुआ व कितने जारी किये गये इन सब बातों पर जिलाधिकारी घर और दफ्तर दोनों जगह अपने कंप्यूटर मोनिटर कर रहे है| बाद के क्रम संख्या के जारी प्रमाणपत्रो पर डीएम की निगाह है| किस क्रम संख्या के आवेदन निस्तारित नहीं हो पाए है इसका जबाब राजेंद्र चौधरी को देना पड़ रहा है|