रमजान व रक्षाबंधन: जनता को कीचड़,गंदगी और जलभराव में छोड़ वत्सला देशाटन पर

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फर्रुखाबाद(दीपक शुक्ला): एक कहावत है, ‘जब रोम जल रहा था तो नीरो चैन की बंसी बजा रहा था।’ मुस्लिमों का रमजान का पाक महीना है। दो दिन बाद हिंदुओं का रक्षाबंधन का त्योहार है। इस समय शहर में जगह-जगह बजबजाती नालियां, सड़ांध मारते कूड़े के ढेर, चोक पड़े नाले और जलभराव के कारण घुटनों तक पानी से निकलती महिलायें व गोते खाते बच्चे आम नजारा हैं। इस सबके बीच मजेदार बात यह है कि भारी बहुमत से विजयी हमारी प्रथम नागरिक व नगर पालिका अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल जीत का जश्न शपथग्रहण समारोह में धूम धड़ाके से मनाने के बाद आज-कल कहीं देशाटन पर हैं। शहर की दुर्दशा पर बात करने के लिये समय चाहने के क्रम में, उनके एमएलसी पति माननीय मनोज अग्रवाल का तो कम से कम यही कहना है।

शहर के हर मोहल्ले व गलियों में कीचड़ के कारण पैर रखने की जगह नहीं है और आम नागरिक गंदगी व जलभराव से निजात नहीं पा पा रहा है। हर चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा सिर्फ इन्हीं मुद्दों को लेकर नागरिकों का वोट मिल जाता है क्योंकि भोलीभाली जनता जातिवाद के  चक्रव्यूह में फंसकर प्रत्याशी को चुन लेती है और फिर शुरू होता है, मनमानी व भ्रष्टाचार का ताण्डव। चुनाव के बाद आम नागरिक दबी जुबान से यही कह पाता है कि वोट मांगते समय सारे नेता वादे कर देते हैं लेकिन जीतने के बाद कोई झांकने नहीं आता। चाहे वह नगर पालिका अध्यक्ष हो या विधायक। वर्तमान में चुनीं गयीं शहर की प्रथम नागरिक वत्सला अग्रवाल पहले उनके पति मनोज अग्रवाल पांच साल तक नगरपालिका की अखरोट की कुर्सी पर बैठे और पांच साल के बाद उनकी पत्नी लेकिन आज शहर का जो आलम है वह किसी से छिपा नहीं है। त्यौहारों की भरमार सावन के महीने में तो होती ही है इसी महीने में बारिश लेकिन पिछले पांच सालों में नगर के लिए क्या किया गया यह तो इसी से सिद्ध हो जाता है कि जरा सी बारिश में गलियों में घुटनों तक पानी भर जाता है। मंदिरों में पूजा करने व मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए जा रहे नागरिकों को क्या परेशानी होती है इससे अब किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। शहर के तलैया फजल इमाम, गंगा नगर कालोनी, नाला मछरट्टा, भीकमपुरा आदि में स्थिति बद से बदतर हो गयी। नाला मछरट्टा पर तो एक तरफ वर्तमान चेयरमैन का आवास है तो दूसरी तरफ सदर विधायक का और बीच में सड़क पानी से भरी हुई। अब इस स्थिति में आम जनता क्या कहे।

नगर की समस्या को लेकर नगर पालिका की अध्यक्षा वत्सला अग्रवाल से बात करनी चाही तो एमएलसी पति मनोज अग्रवाल ने कह दिया कि वह अभी देशाटन कर रहे हैं अभी उनसे मुलाकात नहीं हो सकती। बीते कुछ दिनों पूर्व अपनी नाकारी व कामचोरी को लेकर ईओ आर डी बाजपेयी को नागरिकों ने धुन दिया था। लेकिन इसके बावजूद भी नगर पालिका पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। स्थिति फिर सामान्य सी नजर आ रही है। हर आदमी अपने में मग्न है। नेता भ्रमण पर व अधिकारी अपने_अपने कार्यालय में कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं। प्रश्न यह उठता है कि आखिर जनता के पास क्या रास्ता है जिससे वह अपनी समस्या दूर करे। आम जनता थक हारकर यही कह बैठती है कि वोट देने से क्या फायदा। जब हमें बजबजाते कीचड़ में ही निकलना है तो अबकी बार किसी को वोट नहीं देंगे। जो आता है वह सिर्फ कोरे वादे करके रफूचक्कर हो जाता है। जब हमें यही करना है तो फिर मतदान करने से फायदा क्या है।

सड़क पर पड़े कूड़े के ढेर, बजबजाती नालियां, रोड पर भरा कीचड़ देखकर बाकई में यह प्रतीत होता है कि यहां का वासिंदे इतनी कुन्ठा के साथ जीवन यापन कर रहे हैं। न कहीं पैर रखने की जगह है व न ही चार आदमियों के खड़े होने की। हालांकि इस सम्बंध में पूर्व चेयरमैन मनोज अग्रवाल बड़े ही गर्व के साथ कहते हैं कि पांच साल मैने जमकर विकास कार्य कराया। जो रह गया है उसे इस बार पूरा कर देंगे। लेकिन विकास से ज्यादा शहर में विनाश की स्थिति दिखती है जब भरभरा कर बरसात का पानी लोगों के घरों में घुस जाता है।

बीते एक माह पूर्व हुए नगर पालिका चुनाव में जहां मनोज अग्रवाल व उनकी पत्नी वत्सला अग्रवाल भीषण गर्मी में नगर के मोहल्लों में पसीना बहाते देखे जाते थे वहीं अब वह चुनाव जीतने के बाद देशाटन पर निकल पड़े हैं। शायद उन्हें चुनाव की गर्मी अब भी सता रही है। सतायेगी भी क्यों नहीं चुनाव जो जीत गये हैं। फर्रुखाबाद के नेताओ का इतिहास रहा है कि चुनाव जीतने के बाद वह जनता की पहुंच से दूर हो गये। फिर तो नेता जी को दिल्ली व लखनउ ही नजर आता है। यही हाल शायद अपने नगर पालिका अध्यक्ष का है। जिन्हें चुनाव के समय भीषण गर्मी में नागरिकों से बिजली पानी के किये गये वादे याद नहीं रहे। या याद होने पर भी उन्हें जानबूझ कर नजरंदाज कर रहे है। रमजान व रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहारों पर नगर कूड़े कचरे से पटा पड़ा है। नमाजियों को नमाज पढ़कर घर तक पवित्र तरह से आना दुस्वार है। लेकिन इसका नगर पालिका अध्यक्ष पर कोई फर्क नहीं पड़ता। शायद नगर पालिका अध्यक्ष ने शहर के नागरिकों को रक्षाबंधन व रमजान का तोहफा कूड़ा कचरा व गंदगी के रूप में दिया है।