‘भंवरी को चुप कराने के लिए मदेरणा ने ली थी पुलिस अधिकारी की मदद’

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बर्खास्त मंत्री महिपाल मदेरणा ने भंवरी देवी को चुप कराने के लिए एक पुलिस अधिकारी की मदद ली थी। मदेरणा ने पुलिस अधिकारी के जरिए भवंरी को 50 लाख रुपए देकर समझौता करना चाहा था। हालांकि भंवरी ने इसे लेने से इनकार कर दिया था और यही उसकी हत्या का कारण बना।

भंवरी देवी हत्याकांड मामले की सुनवाई एसीजेएम अदालत में जारी रही। इस मौके पर मामले के सभी आरोपी मौजूद थे, हालांकि मदेरणा मौजूद नहीं थे। वह खराब सेहत का हवाला देकर 26 मई से अदालत की सुनवाई से गैरहाजिर रहे हैं।

सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर वकील अशोक जोशी ने कई आरोपियों के बीच बातचीत का ब्योरा दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से मदेरणा और मलखान सिंह बिश्नोई की ओर से मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई।

जोशी ने अदालत को बताया कि मदेरणा ने बर्खास्त पुलिस अधिकारी लखा राम की इस मामले में मदद ली थी। लखा राम ने मदेरणा और भंवरी के बीच बिचौलिए का काम किया था।

सीबीआई के वकील जोशी ने कहा, मदेरणा ने लखा राम से कहा था कि वह 50 लाख रुपये देकर भंवरी देवी के साथ समझौता कराए। लेकिन भंवरी ने समझौता करने से इनकार कर दिया और फिर उसे खत्म करने का फैसला किया गया।

लखा राम जोधपुर से करीब 60 किलोमीटर दूर ओसियन थाने में तैनात था। जोशी के मुताबिक आरोपी ने भंवरी से शहाबुद्दीन का परिचय कराने के साथ ही जयराम और सुंदा राम की पहचान पत्र का इस्तेमाल करके दो सिम कार्ड खरीदे। इसके साथ ही उसने बिश्नोई गैंग से संपर्क स्थापित किया और अमरचंद को अपहरण के लिए मनाया।

सीबीआई वकील ने कहा कि सही राम और बिश्ना राम के बीच बैठक हुई थी और यहीं पर साजिश को अमलीजामा पहनाया गया।