अखिलेश के साथ विवाद पर पहली बार आजम खान ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। तल्ख लहजे में दिल्ली में आजम खान ने कहा कि मेरी चिट्ठी को लीक किया गया है। चिट्ठी लीक करने वाले जितने भी बड़े क्यों ना हों, वो अपनी हद में रहें। मैंने इस्तीफे जैसी बात नहीं लिखी है लेकिन मेरा प्रभार छीना गया तो मैंने अखिलेश को चिठ्टी लिखी। साफ है कि आजम अपनी बात रखने से पीछे नहीं हट रहे हैं।
मालूम हो कि बुधवार शाम खबर आई कि वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री आजम खां ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को खत लिखकर इस्तीफे की पेशकश कर डाली है। खत के जरिए आजम ने इस बात का भी ऐलान कर दिया कि वो गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर के प्रभारी मंत्री का पद छोड़ रहे हैं। अखिलेश यादव को भेजे गए अपने ख़त में आजम ने साफ कहा कि अगर सरकार को उनकी सलाह की जरूरत नहीं तो उनके काम करने का क्या फायदा?
अपने खत में आजम ने कहा है कि पार्टी को अगर मेरी सलाह की जरूरत नहीं तो मैं काम छोड़ने को तैयार हूं। मैं मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री का पद छोड़ रहा हूं।
दरअसल यह सारा विवाद तब उठ खड़ा हुआ था जब अखिलेश यादव ने आजम खां को मेरठ के प्रभारी मंत्री के पद से हटा दिया। पार्टी सूत्रों की मानें तो मेरठ से ताल्लुक रखने वाले एक राज्यमंत्री से आजम खां के मतभेद के चलते मुख्यमंत्री ने ये फैसला लिया था लेकिन ये दांव उल्टा पड़ा और नतीजे के तौर पर सामने आया आजम खां का खत। पार्टी के भीतर इस पूरे विवाद को नाक की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है।
बात जब अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की आई थी तब भी आजम ने विरोध किया था, वो मुलायम को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते थे। उसके बाद जब उन्हें स्पीकर बनाने का प्रस्ताव दिया गया तो वो बुरी तरह बिफर गए। उस समय उन्हें किसी तरह मनाया गया। इसके बाद समाजवादी पार्टी में मौलाना बुखारी को तवज्जो दिए जाने पर भी आजम खान ने इसका पुरजोर विरोध किया था।
हाल ही में रामपुर में सरकारी डाक्टरों की तैनाती ना होने पर उन्होंने खत लिख कर कहा था कि सरकारी अस्पतालों में ताला लगा दो। जानकार बताते हैं कि अखिलेश के नेतृत्व में आजम खुद को तवज्जो नहीं दिए जाने से नाराज हैं। एसपी के अंदर एक तरह का जेनरेशन गैप भी देखने को मिल रहा है। आजम खान पार्टी की नींव रखने वाले नेता हैं लेकिन अब पार्टी में अखिलेश का बढ़ता दबदबा भी उन्हें रास नहीं आ रहा है।