नागपंचमी पर इस आसान विधि से करें नागदेवता का पूजन

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श्रावण शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 23 जुलाई, सोमवार को है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने का विधान है। पूजा की विधि इस प्रकार है-

नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें-

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।

शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।

सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।

तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।

इसके बाद व्रत-उपवास एवं पूजा-उपासना का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें तथा सफेद मिठाई का भोग लगाएं। तत्पश्चात यह प्रार्थना करें-

सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।

ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।

ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।

ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जप करें-

ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।

इसके पश्चात सर्प सूक्त का पाठ करें-

ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।

नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।

इसके बाद नागदेवता की आरती करें और प्रसाद बांट दें। इस प्रकार पूजन करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।