नबावगंज (फर्रुखाबाद): नबावगंज कस्बे के मेडिकल स्टोरों पर धड़ल्ले से आक्सीटोसिन, फोर्टविन जैसे नशीले इंजेक्शन के अलावा अल्प्राजोल, मेन्टाल आदि नशीली गोलियां भी बेची जा रही हैं। जिनको खाने से सैकड़ों युवाओं की जिंदगी बर्बाद हो रही है। इन दवाइयों को मेडिकल विक्रेता पहले तो नई उम्र के लड़कों को नशे की लत लगा देते हैं। बाद में ये युवा किसी भी कीमत पर यही दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं। जिससे उनकी जिंदगी बर्बाद हो रही है। नबावगंज निवासी ऐसे ही एक नशा करने वाले व्यक्ति के भाई ने जब दवा विक्रेताओं से विरोध जताया तो मेडिकल मालिकों ने साफ कह दिया कि उनके पास तो लाइसेंस है। उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
नबावगंज निवासी कुलदीप राठौर बताते हैं कि उनका भाई रंजीत राठौर बहुत ही होनहार था। जिसे कस्बे के मेडिकल मालिकों ने धीरे-धीरे नशीली दवाइयों की लत डाल दी। जिससे अब मेरा भाई रंजीत पूरे दिन अप्राजोल नाम की दवाई खाकर नींद में ही गुजार देता है। यह दवाई कुछ ज्यादा महंगी न होने व अन्य नशे की वस्तुओं से सस्ती होने के कारण इसे अन्य युवा व नशेड़ी भी खा रहे हैं। मेडिकल मालिक सब कुछ जानते हुए भी इन नशीली दवाइयों को धड़ल्ले से युवाओं को बेच रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उनका भाई रंजीत दिन भर में लगभग 20 गोली अल्प्राजोल की खा लेता है। जिसका कभी भी नशा उचकता ही नहीं है। उसने अपनी जिंदगी बर्बाद कर ली। वहीं नबावगंज के ही निवासी अंकित यादव का कहना है कि रंजीत तो एक बानगी मात्र है। कस्बे में न जाने कितने व्यक्तियों को इन गोलियों की लत पड़ गयी है और वह प्रति दिन इनका नशा करके अपनी जिंदगी गर्त में धकेले जा रहे हैं। जिसे कोई देखने वाला नहीं है। उन्होंने बताया कि यह दवाई अधिकतर शहर के कृष्णा मेडिकल स्टोर से युवा लाते हैं। जहां 10 गोलियों का पत्ता 19 रुपये में आराम से मिल जाता है।
इतना ही नहीं कुलदीप राठौर व अंकित यादव ने इन दवाइयों को अपने भाई से छीनकर जेएनआई को दिखाया कि इन दवाइयों को खाकर उनके भाई की जिंदगी बर्बाद हो गयी है। लत लग जाने की बजह से अब इसे कोई रोकने वाला नही है। वह चाहते हैं कि इन दवाइयों की विक्री पर रोक लगायी जाये जिससे आगे आने वाले दिनों में अन्य युवा इसका शिकार न बने व उनके जीवन को बर्बाद होने से बचाया जा सके।