बाबा अबधेश गिरी बने मजार के सज्जादा नसीन

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नबावगंज (फर्रुखाबाद): सब दिल मिले की शौदा। जिसको जहां पर अमन चैन मिलता है वह वहीं और उसी जगह को पवित्र और शक्तिशाली मानने लगता है। संसार में तरह-तरह के संस्कार व धर्म इंसान को सही रास्ते पर चलाने के लिए बनाये गये। कौन सा धर्म किसको कब अपने जेहन में उतार ले यह बात वक्त के गर्भ में छिपी रहती है। अगर सच्चाई को माने तो हिन्दू मुसलमान आखिर हैं क्या। दोनो के अंदर खून तो लाल ही निकलता है। लेकिन फिर भी लोग धर्म के नाम पर इंसानी जज्बातों को रौंदकर आपस में लड़वाने का प्रयास करते रहते हैं। ऐसे बहुत से इंसान हैं जो इन लोगों की बातों को बोतल में बंद कर किनारे रखने के साथ अपने स्वेच्छा से ही कर्म करते हैं। ऐसा ही इस समय नबावगंज के ग्राम बरतल में हो रहा है। जहां एक अबधेश गिरी नाम के व्यक्ति ने मजार पर सज्जादा नसीन का काम करना शुरू कर दिया। लोग वहां अपनी मन्नत लेकर आने भी लगे।

विदित हो कि बीते दिन चर्चा में आये नबावगंज के ग्राम बरतल के शिव मंदिर में एक मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जान मोहम्मद पुजारी बन गये और भगवान शंकर के भक्तिरस में डूबकर गुणगान करने लगे। मंदिर के पास में ही रह रहे अबधेश गिरी भी आज चर्चा में आये। मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 17 वर्ष पूर्व अबधेश गिरी की पत्नी काफी बीमार चल रहीं थीं। जिसका इलाज कराकर अबधेश थक गया। काफी दिन गुजर बाने के बाद वह बदायूं की एक मजार पर मन्नत मांगकर आया। जहां कुछ समय बाद उसकी पत्नी का स्वास्थ्य ठीक हो गया। अबधेश गिरी ने बताया कि तभी से वह अपने घर पर ही बना ली।

अबधेश गिरी का कहना है कि मजार पर अन्य जिलों से भी दुखी व बीमार मरीज आते हैं और ठीक हो जाते हैं। फिलहाल उनको यह काम करते हुए तकरीबन 10 वर्षें हो चुकी हैं।