फर्रुखाबाद: वैसे तो कबीरदास के पद चिन्हों पर चलने वाले कम ही है मगर कबीरपंथी विचारधारा का पालन कभी कभी देखने को मिल ही जाता है| कबीरदास कह गए थे- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करें न कोय| जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय|| कब्रीरा दुःख काहे को होय| हाल कुछ ऐसा ही इन दिनों नेताओ का है मगर मतदाता के लिए ये पंक्तिया उलट जाती है| जब मतदाता दुःख में होता है तब किसी नेता को उसके सुमिरन करने की फुर्सत नहीं होती और जब नेता को दुःख होता है (नाराज वोटर की वजह से) तब तब उसे मतदाता के सुमिरन की याद आती है|
मौका है फतेहगढ़ में वोट मांगने का| और सामने थी दरगाह सत्तारिया| नेता जी भी मौला के पास अपनी अर्जी लगा आये- ए मौला टाउन हाल पंहुचा दे और दस्तूर भी कबीर पंथी हो गया| साथ में थे बसपाई ठेकेदार प्रताप नारायण, बसपाई फजल मंसूरी| मतदाता और मौला दोनों की कृपा हुई तो टाउन हाल पहुचे समझो| वत्सला जी देवी देवताओ की शरण में हैं और मनोज जी दरगाहो की| फर्रुखाबाद में फेरा लगा तो छोटे बड़े साहब की दरगाह पर हाजिरी लगायी और फतेहगढ़ में दरगाह सत्तारिया पर| हम भी दुआ करेंगे खुदा उन्हें उनकी सच्ची और सफल ईमानदारी का इनाम जरुर दे| जरा गौर फरमाईये-