खबरीलाल का रोजनामचा-चापलूस स्वार्थी और थाली के बैंगनों की जय

Uncategorized

खबरीलाल का उत्साह और उमंग थामे नहीं थम रही थी। रेलवे रोड से लगभग दौड़ने के अंदाज में आए और चौक की पटिया पर कूद कर बैठ गए। बोले बाबा! क्या हाल चाल हैं। बाबा खबरीला की तरफ पान बढ़ाते हुए बोले। खबरीलाल हमने सुना है कि सलमा बेगम को सपा ने समर्थन दे दिया है। खबरीलाल बोले बाबा यह होना ही था। मंत्री जी एक-एक से अपना हिसाब चुकता करने में लगे हैं। उन्हें कोई पुराना समाजवादी अच्छा नहीं लगता। उन्हें बसपा के जिला पंचायत अध्यक्ष अच्छे लगते हैं। इसी के चलते ऐसे लोगों से पंगा हो गया जो लोग जिले में ही नहीं पूरे सूबे में शिक्षा के विस्तार प्रचार और प्रसार में महामना मदन मोहन मालवीय के मौजूदा संस्करण मनी मेकिंग मशीन के रूप में माने जाते हैं।

बाबा चौंके क्या कह रहे हो खबरीलाल! अपने मंत्री जी निहायत शरीफ और बात वाले आदमी हैं। खबरीलाल बोले बाबा! अब ऐसी ही रखो। यह सब मन समझाने वाली बातें हैं। सही बात यह है कि जब आदमी को अपने गलत कार्यों की सजा नहीं मिलती त बवह निरंकुश और तानाशाह बन जाता है। जरा सा मौका मिला और सबको अंगूठे के नीचे करने का अभियान चलने लगता है। अब जो अवसरवादी हैं। चापलूस स्वार्थी और थाली के बैंगन हैं वह अपने काम में लग जाते हैं। परन्तु जिन्हें अपना रास्ता स्वयं चुनना और चलना अच्छा लगता है। वह लोग कभी भी अपनी खुद्धारी से समझौता नहीं करते।

बाबा खबरीलाल को बीच में ही टोंकते हुए बोले। खबरीलाल आप में सब बातें अच्छी हैं। सीधी-सीधी बात क्यों नहीं कहते। क्या किसी से डर लगता है। समझ लो जो डर गया वह मर गया। खबरीलाल ऐसे चौंके जैसे बिजली का करंट लगा हो। बाबा ऐसी बात नहीं है जैसी तुम समझ रहे हो। लेकिन हमारी अपनी परवरिश है। अपनी सोच है। अपना तरीका है। हमें बेईमानों, मक्कारों, भष्टाचार के बल पर फलने फूलने वालों अवसरवादियों से कभी डर नहीं लगता। सही पूछो हमें इन पर दया आती है। इन्हें पता ही नहीं है यह क्या कर रहे हैं। अंत में इसका परिणाम क्या होगा।

खबरीलाल बोले बाबा! इस बार का नगर पालिका परिषद चुनाव किसी समुद्र मंथन से कम नहीं है। जो सोचा भी नहीं होगा वह करिश्में सामने आयेंगे। चुनाव उठाने बनाने, जीतने और अपने विरोधी का भंडाफोड़ करने के अजब गजब तरीके अपनाए जा रहे हैं। खबरीलाल ने बाबा से सीधा सवाल किया। महाभारत के ‘यादवी द्वंद’ का किस्सा सुना है। समाजवादी पार्टी में यह द्वंद आए दिन देखने को मिलता है। जिला पंचायत और विधान सभा चुनाव का खेल जिले के लोग देख ही चुके हैं। अबकी बारी है नगर पालिका परिषद चुनाव की।

खबरीलाल बोले स्वर्गीय किशनलाल गुप्ता, उनके भ्राता श्याम प्रकाश गुप्ता और उनके परिवार को आप पसंद करते हो या न करते हो। परन्तु समाजवादी पार्टी डा0 लोहिया, जनेश्वर मिश्रा, मुलायम सिंह यादव, अलिखेश यादव के प्रति उनकी अटूट निष्ठा पर कोई  उंगली नहीं उठा सकता। उनकी दीवानगी पर लोग हंसते हैं। कुछ दिलजले फिकरेसी कसते हैं। नगर पालिका चुनाव में स्वर्गीय किशनलाल गुप्ता की पुत्रवधू चुनाव मैदान में हैं। पूरा परिवार, मित्र, सहयोगी, पुराने समाजवादी और हर जाति वर्ग के लोग पूरी तत्परता से चुनाव प्रचार में लगे हैं। लोहिया, जनेश्वर, मुलायम, अखिलेश के फोटो सब कुछ समाजवादियों जैसा। कार्यालय उदघाटन में बसपा, कांग्रेस होते हुए पुनः सपा में आए सहकारिता के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद छोटे सिंह यादव, बाबू ग्रीशचन्द्र कटियार जैसे तमाम लोगों ने शिरकत की।

खबरीलाल बोले जिसके दोस्त ज्यादा होते हैं, उसके दुश्मन भी होते हैं। उन्हें यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ। सपा में पता नहीं कब क्या हो जाए। आनन फानन टेलीफोन पर घोड़े दौड़ने लगे। लोगों को गुमान है कि उनके 90 वर्ष के पट्टे पर पूरा फर्रुखाबाद मिल गया है। चाहें कुछ करो कोई कुछ कहने सुनने वाला नहीं है। यही गलती बहन जी की पार्टी के अवसरवादियों ने की थी। आज हाल चाल देख लो। पूरे सूबे में चुनाव हो रहे हैं। लेकिन हाथी कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है। सपा का खेल ही निराला है। पूरे शहर में समर्थन के लिए पार्टी का कोई पुराना कार्यकर्ता सिपाही नहीं मिला। मिला तो पुराना बसपाई। क्योंकि सपा के वर्तमान कर्ताधर्ताओं को सपाइयों के मुकाबले व बसपाई बहुत अच्छे लगते हैं। सच ही कहा है घर की मुर्गी दाल बराबर। जो लोग जिला पंचायत के चुनाव में पूरे प्रदेश में बेमिशाल कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं उनसे अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के अलावा पार्टी और कार्यकर्ताओं के हित की बात करना ही बेमानी है।

बाबा यह सब सुनकर कुछ उदास हो गए। फिर बोले खबरीलाल तुम जिस पटिया पर बैठे हो। उस पर डा0 लोहिया सहित समाजवादी आंदोलन के लगभग सभी दिग्गज बैठे हैं। बतियाये हैं। जनेश्वर जी तो भुने आलू पर जान छिड़कते थे। परन्तु आज की हालात देखकर ऐसा लगता है कि अगर डा0 लोहिया या जनेश्वर जैसे लोग भी टिकट या समर्थन मांगते। तब उनके मुकाबले विरोधी दल के किसी धन्ना सेठ को टिकट या समर्थन मिल जाता।

खबरीलाल बोले ठीक कहते हो बाबा। परन्तु चुनाव परिणाम तो मतगणना के बाद उजागर होंगे। परन्तु यह बसपाई हैं मुकद्दर का सिकंदर। पहले झोंके में कांग्रेसी उम्मीदवार अपने पूरे फौज फाटे के साथ शरणागत हो गया। दूसरे सप्ताह में सपा का समर्थन मिल गया। मतदान में अभी पूरे दस दिन बांकी हैं। देखो तब तक ऊंट किस करवट बैठता है। हां इतना सच है कि चुनाव परिणाम चाहे कुछ हो। पहिले ही खेमों में बंटी समाजवादी पार्टी की जूतम पैजार इस चुनाव में गली-गली मोहल्ले-मोहल्ले, घर-घर पहुंच गयी। बाबा तुम्हें क्या यह आश्चर्य जनक नहीं लगता कि जिस कन्नौज में नव निर्वाचित सांसद और मुख्यमंत्री की पत्नी डिंपल यादव के मुकाबले राष्ट्रीय राजनैतिक दलों की उम्मीदवार उतारने की हिम्मत नहीं पड़ी। वहीं फर्रुखाबाद में समाजवादी पार्टी ने एक पुराने बसपाई के सामने आत्म समर्पण कर दिया।

बाबा बोले खबरीलाल बातें तुम्हारी पूरी तरह सही हैं। परन्तु यहां पूरे कुएं में ही भांग पड़ी है। यह चुनाव समुद्र मंथन की तरह जटिल और कठिन है। आप पुराने बसपाई की बात कर रहे हो। भाजपा को छोड़कर जितने भी उम्मीदवार हैं। वह सबके सब मिक्स दालमोठ या रामसेवक नमकीन वालों की तरह हैं जिसमें बहुत सी चीजें शामिल हैं और बहुत से जायके हैं।

खबरीलाल बोले सही बात पकड़ी आपने बाबा। निर्दलीय से शुरू होकर सपा, बसपा, कांग्रेस सहित कल्याण सिंह, अजीत सिंह, सलमान खुर्शीद सहित जाने कितने घाटों का पानी पी चुके हैं नाले मछरट्टे के विधायक जी। अबकी बार जीत कर भी दांव उल्टा पड़ गया। परन्तु पुराना अखाड़े बाज है। उसे पता है कि अगर पत्नी को अध्यक्ष जिता ले गए। तब फिर यही सपाई लाल कालीन बिछाकर स्वागत में खड़े हो जायेंगे। 2014 में दिल्ली फतेह जो करनी है। रात विरात सपा के दर्जनों दिग्गज अब भी हाजिरी देते हैं।

बाबा किस-किसकी कहोगे। रेलवे रोड का व्यापार मण्डल भाजपा का व्यापार मण्डल माना जाता है। शुरूआत भी भाजपा से ही हुई थी। फिर चुनाव लड़ना था कांग्रेसी हो गए। फिर चुनाव लड़ना था तब बसपाई हो गए। अबकी बार नगर पालिका का चुनाव लड़ना था निर्दलीय हो गए। हैं न एक टिकट में कई तमाशे। निर्दलीय भले हों परन्तु सबके साथ सभी दलों की रेजगारी है। इसलिए जनता ने अगर जमकर मतदान किया जिसकी पूरी उम्मीद है। तब फिर जबर्दस्त गदर गड़बड़ और मंथन से विष का शमन होगा। उन्नति विकास संभावनाओं के अमृत कलश को लेकर कोई भुवन मोहिना पालिका अध्यक्ष के रूप में अवतरित होगी। निवर्तमान पालिका अध्यक्ष की प्रत्याशी पत्नी सहित बांकी के विषय में कल मिलेंगे। आज बस इतना ही- भैया चलो डालो वोट!

सतीश दीक्षित
एडवोकेट