सुबह शाम घमासान, दोपहर में आराम- चुनावी दफ्तरों में छा जाता है सन्नाटा

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फर्रुखाबाद: जेठ की दुपहरी के तीन बजे किस की मजाल जो सूरज से टक्कर ले सके| एसी फेसी सब फेल| कूलर बंद कुर्सियां खाली और मैदान सफाचट| ये नजारा है रणभेरी में हुंकार भर नगर में झंडा खड़ा करने की चाहत रखने वाले राजनैतिक योद्धाओं के कैम्पों का| जे-एन-आई के रिपोर्टर को सनक चढ़ी कि चलो जनता को दिखाएँ कि सुबह शाम घर घर की कुण्डी खटखटाने वाले इस वक़्त क्या कर रहे है|

सबसे पहले रिपोर्ट सलमा बेगम के कार्यालय पंहुचा| मेनगेट पर लगा बड़ा सा बैनर सलमा अंसारी + हाजी अहमद अंसारी| फोटो शोटो सब रुआबिल| किसी खानदानी रईस का टपकता नूर| सुबह की पौ फटते ही जिस जगह चाय की चुस्कियो की चहक होती हो वहां दफ्तर में कोई नहीं| खाली कुर्सिओ और बंद पड़े कूलर बिटिया की विदा के बाद सुने पंडाल का एहसास करते दिखे| अलबत्ता एक शराबी दफ्तर के सामने ठेके पर जब पैमाने से छलक गया तो सुस्ताने सलमा बेगम के खाली पड़े दफ्तर में चला आया| दफ्तर में न कोई कार्यकर्ता दिखा और न पदाधिकारी| दुपहर की गर्मी में सेठ के ठन्डे घर में सुस्ताते कई सपाई जरुर दिखे|


रिपोर्टर आगे बढ़ा तो नाला मछरट्टा की धर्मशाला नुमा ईमारत पर दयमन्ती सिंह का बोर्ड टंगा दिखा| बाहर ठन्डे पानी की गाडी कूल कैग पहुचने आई थी| तपती गर्मी में ठन्डे पानी का एहसास| अन्दर विजय सिंह अकेले बिस्तर पर लेटे सुबह की थकान उतार रहे थे| दो भतीजे पैर दबा रहे थे| रिपोर्टर को देखते ही बोले भाई फोटो तो हम बहुत खिचाते है अभी नहीं, जरा आराम हो जाए| दो घंटे बाद फिर निकलना है| कार्यकर्ताओ को भी अन्दर आराम करने को बोल दिया है|


तीसरा दफ्तर निवर्तमान अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल का मिल गया| बड़ा सा बोर्ड वत्सला अग्रवाल मय मनोज अग्रवाल के फोटो के दरवाजे पर टंगा नजर आया| महिलाओ के साथ पतिओ की फोटो जरुर छाप रही है अलबत्ता पतिओ ने अपने चुनाव में कभी पत्नियो की फोटो नहीं छपवाई होगी| मगर पति ये एहसान शायद कभी नही मानेंगे| सलमा के साथ हाजी अहमद, दयमन्ती के साथ विजय सिंह, वत्सला के साथ मनोज अग्रवाल और माला परिया के साथ संजीव पारिया| अन्दर आधा दर्जन दफ्तरी मौजूद| एक बड़ा सा बक्सा देख ऐसे लगा की बरात नास्ता करने गयी जनवासे में कुछ जिम्मेदार लोग रह है| अलबत्ता कार्यकर्ता प्रत्याशी और समर्थक सभी गर्मी से बचने के लिए कहीं न कहीं थे दफ्तर में नहीं|


चौथा दफ्तर सिकत्तर बाग़ के एक घर में खुला है| भाजपा का झंडा छत के ऊपर लहराता दिखा तो महसूस हुआ कि हो न हो यही भाजपा प्रत्याशी माला पारिया का चुनावी दफ्तर होगा| अंदर चार पांच कमरों में चार पांच लोग| कैमरा देखा तो फटाफट सब एक साथ गोल में बैठ गए| मुकेश सक्सेना के साथ मीडिया प्रभारी दिलीप भरद्वाज और प्रत्याशी पति (यही लिखा जाता है) संजीव पारिया के अलावा 3-4 दफ्तरी और समर्थक| पारिया साहब का घर तो फतेह्ग्रह छावनी में है| कौन इतनी दूर बार बार ए जाए| यहीं रहकर कुछ शाम की योजना बन जाए इसी उधेड़बुन में माथापच्ची हो रही थी| बस जेठ की दुपहरी में इतना ही कुनवा चुनावी जंग के कैम्पों में था| शाम होते होते ये दफ्तर खचाखच भर जाते है| जिसके दर्शन अक्सर आप लोगो को लगते है| मगर 24 तारिख के बाद इन कार्यालयों में कैसा लगेगा इसका एहसास इस जेठ की दुपहरी में 14 दिन पहली ही कर लीजिये|