बसपा सरकार में सरकारी धन की हुई लूट-घसोट को देखते हुए अखिलेश सरकार ने सरकारी कामकाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए हर एक विभाग में सतर्कता अधिकारी की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्णय किया है। सभी प्रमुख सचिवों व विभागाध्यक्षों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर विभाग में मुख्य सतर्कता अधिकारी व सतर्कता अधिकारी नामित करने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल, प्रदेशवासियों को स्वच्छ प्रशासन मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रदेश में भ्रष्टाचार निरोधक कार्यवाही तथा विभागीय सतर्कता को मजबूत करने के लिए तकरीबन एक दशक पहले विभागों में मुख्य सतर्कता व सतर्कता अधिकारी नामित करने के उच्च स्तरीय निर्देश दिए गए थे। सचिवालय स्तर पर जहां संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के अफसर को नामित करने के निर्देश थे वहीं विभाग, सार्वजनिक उपक्रम, निगम, प्राधिकरण आदि में विभागाध्यक्ष या वरिष्ठ अफसर सतर्कता अधिकारी नामित होने थे। नामित होने वाले सतर्कता अधिकारियों को विभाग की योजनाओं व विकास कार्यो का सत्यापन व मूल्यांकन भी सुनिश्चित करना था। इसके लिए सतर्कता अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर तकनीकी विशेषज्ञ, विभागीय व सतर्कता अधिष्ठान के अफसरों का सहयोग लेने का अधिकार भी दिया गया था।
गौर करने की बात यह है कि स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ज्यादातर विभागों में वर्षो से मुख्य सतर्कता व सतर्कता अधिकारी नामित ही नहीं किए गए। ऐसे में विभाग की योजनाओं व विकास कार्यो का सत्यापन व मूल्यांकन होना तो दूर की बात है। ऐसे में जिस कदर से पिछली सरकार के दौरान हुए घोटाले अब सामने आ रहे हैं, उसको देखते हुए मौजूदा अखिलेश सरकार ने उक्त स्थित को बेहद गंभीरता से लिया है। इस पर मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने सभी प्रमुख सचिव व विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि सर्वोच्च प्राथमिकता पर मुख्य सतर्कता अधिकारी व सतर्कता अधिकारी नामित किए जाएं। मुख्य सचिव के निर्देश पर हरकत में आए प्रमुख सचिवों ने विभाग में सतर्कता अधिकारी नामित करना भी शुरू कर दिया है।