फर्रुखाबाद: निनौआ स्थित वन चेतना केन्द्र अधिकारियों की लापरवाही से आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर भी यहां पर कोई पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित कार्य नहीं किया गया। अब इस केन्द्र की हालत यह है कि यह अराजक तत्वों का बहुत बड़ा अड्डा बन चुका है। वन चेतना केन्द्र में बनवायी गयी नहर में बनने के बाद आज तक पानी तक नहीं छोड़ा गया। केन्द्र में झाड़ियां उग आयी हैं।
17 दिसम्बर 1991 में आर के माथुर मुख्य वन संरक्षक द्वारा वन चेतना केन्द्र निनौआ का लोकार्पण किया गया था। इसके बाद वन चेतना केन्द्र में काफी समय तक विभिन्न प्रकार के पशु पक्षी भी रखे गये हैं। लेकिन भ्रष्टाचार की आंधी उन पशु पक्षियों को भी उड़ा ले गयी। आज वन चेतना केन्द्र खण्डहर बन गया है। जिसके चौखटों में न तो दरबाजे हैं और न ही जंगलों में सरिया। रह गया है तो केवल गेस्टहाउस का मुख्य भवन जो विगत कई वर्षों से केवल रसूखदार लोगों व अफसरों की अय्याशी का अड़डा बन कर रह गया है।
सरकार द्वारा मुख्यतः पर्यावरण संरक्षण हेतु जनपद में वन चेतना केन्द्र स्थापित किया था। जिसमें हिरन, खरगोश, मोर इत्यादि भांति भांति के पशु व पक्षी लाये गये थे। वहीं केन्द्र में पैक्स पैड द्वारा एक नहर का भी निर्माण कराया गया। जिसमें कि पर्यटक आकर नौका विहार का आनंद उठा सकें। लेकिन सरकार का सपना मात्र कागजों में ही सिमट कर रह गया। केन्द्र पर सारे पशु पक्षी धीरे-धीरे खत्म हो गये। नहर में आज तक पानी नहीं छोड़ा गया। इस समय नहर में इतनी गंदगी है। देखकर नहीं लगता कि यह नौकायन के लिए बनायी गयी होगी। वहीं केन्द्र तक जाने के लिए अभी तक सड़क नहीं बन पायी है।
वन चेतना केन्द्र पर शाम ढलते ही शराबियों व जुआरियों का जमावड़ा लगने लगता है। इतना ही नहीं केन्द्र के कर्मचारियों की मिलीभगत से अराजकतत्वों के इश्कबाजी का अड्डा बना हुआ है। पास में ही पॉलीटेक्निक कालेज के छात्रों का भी शरणगाह बना हुआ है। वन चेतना केन्द्र में झाड़ियां व गंदगी हैं। जगह-जगह शराब व वियर की बोतलें पड़ी मिल जायेंगीं।