महिलाओ में तम्बाकू के उपयोग का चलन बढ़ने से विश्व स्वास्थय संगठन चिंतित

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फर्रुखाबाद : विश्व तम्बाकू निषेध दिवस हर साल 31 मई को मनाया जाता है। इस दिन सरकार और कई संस्थाएं मिलकर प्रयास करते हैं कि आम लोगों को तम्बाकू का सेवन ना करने के लिए प्रेरित किया जाए। लेकिन फर्रुखाबाद में तम्बाकू उत्पादन धड़ल्ले से जारी है।  यहां तक कि कायमगंज क्षेत्र की घनी बस्ती में भी तम्बाकू उत्पादन व कुटाई का कार्य जारी है। जिससे आने वाले समय में दमा इत्यादि गंभीर बीमारियों के शिकार लोग होंगे। जनपद में जहां यह एक वर्ग को भारी मात्रा में रोजगार दे रहा है वहीं दूसरी तरफ लोगों को खुली बीमारियों को दावत दे रहा है। महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही है, ऐसे में महिलाओ में तम्बाकू प्रयोग का चलन भी बढ़ रहा है। अभी भी विकासशील देशो में महिलाए बहुत कम संख्या में धूम्रपान करती है और यही कारण है की तम्बाकू कपनियो को विकाशील देशो में बहुत बड़ा बाज़ार नज़र आ रहा है ।

आखिर यह तंबाकू है क्या? इसकी शुरुआत कैसे हुई? क्यों खाते हैं

लोग इसे? क्या हैं इसके नुकसान, फेस एनफैक्ट्स आपको यहां बता रहा। निकोटियाना प्रजाति की वनस्पति के पत्तों को सुखा कर नशा करने के लिए तम्बाकू तैयार किया जाता है।  दुनिया का प्राचीन नशा करने का पदार्थ होने के कारण यह आज भी बहुत प्रचलित है। तम्बाकू का नशा दो प्रकार से किया जाता है, चबा कर या फिर धुंआ बना कर यानी धूम्रपान के द्वारा।

चबाने वाले तम्बाकू पान में, पान मसाला, खैनी, मूसा का गुल, गुटखा, तम्बाकू का पानी, मावा, सनस, मिश्री, बज्जर, मैनपुरी स्टायल, जर्दा, क्रीमी तम्बाकू आदि प्रकार प्रचलित हैं। धूम्रपान के रूप में पूरी दुनिया में तम्बाकू प्रयोग में लाया जाता है. सिगरेट, बीडी, सिगार, पाईप, चुरुट, हुक्का, हुक्ली, चिलम आदि सस्ते नशे की तलाश में गरीब बंदे की सायकिल पान बीडी के खोखे पर रुकती है और 2 से 7 रुपयों मे दिन भर का नशे का सामान खरीद लेता है और चढ़ जाता है कैंसर के ट्रैक पर, असीमित दुखों की यात्रा पर बेमौत मरने के लिए।

पूरे विश्व में और भारत में सबसे चिंताजनक बात यह है की महिलाओ खासतौर से लडकियों में तम्बाकू उपयोग का चलन बढ़ता जा रहा है विश्व स्वास्थय संगठन की रिपोर्ट के अनुसार तम्बाकू कंपनिया महिलाओ को तम्बाकू की और आकर्षित करने के लिए प्रयासरत है । विश्व के १५१ देशो से प्राप्त जानकारी के अनुसार १२ प्रतिशत लडको के मुकाबले ७ प्रतिशत लड़किया धूम्रपान करती है , कई देशो में तो लड़के और लड़किया सामान रूप से धूम्रपान करते हे ।वर्ष २०१० का तम्बाकू निषेध दिवस महिलाओ को तम्बाकू महामारी से बचाने के लिए पुरे विश्व में जागरूकता फेलाने का काम किया ।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार महिलाओ का स्वास्थ्य हमारे विकास और जन स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है महिलाओ का अच्छा स्वास्थ्य न सिर्फ हम लोगो के लिए जरुरी है बल्कि हमारी आने वाली पीढियों लिए भी यह बहुत जरुरी है ।

हालाँकि इस वर्ष तम्बाकू निषेध दिवस महिलाओ को ध्यान में रखकर मनाया जायेगा लेकिन साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जायेगा की पुरुषो को भी तम्बाकू आपदा से कैसे बचाया जाये।
विश्व स्वस्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है की तम्बाकू आपदा को नियंत्रित करने के लिए लिंग आधारित नीतिया बनाना बहुत जरुरी है और महिलाओ और पुरुषो दोनों को तम्बाकू से होने वाली जानकारी होना जरुरी है । क्योकि आजकल तम्बाकू कंपनिया लिंग आधारित तम्बाकू उत्पाद बनाने पर जोर दे रही है (यानि महिलाओ और पुरुषो के लिए अलग अलग तम्बाकू उत्पाद), यही कारण है की आज सभी देशो को लिंग आधारित तम्बाकू नियंत्रण नीतिया बनाने की जरुरत है और उसमे महिलाओ की सहभागिता बहुत जरुरी है ।

महिलाओ का स्वास्थ्य और तम्बाकू

• मध्य प्रदेश में (१५-४९) आयु वर्ग के ६८.५ प्रतिशत पुरुष एवं १६ प्रतिशत महिलाए किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करते है ।
• मध्य प्रदेश में ४०.२ प्रतिशत पुरुष एवं ०.५ प्रतिशत महिलाए सिगरेट/बीडी का सेवन करते है ।
• भारत में १.४ प्रतिशत महिलाए धूम्रपान एवं ८.४ प्रतिशत महिलाये खाने योग्य तम्बाकू का सेवन करती है ।
• तम्बाकू सेवन करने वाली महिलाओ में गर्भपात की दर सामान्य महिलाओ से तक़रीबन ९५ प्रतिशत अधिक होती है ।
• तम्बाकू सेवन के कारण महिलाओ में फेफड़ो का कैंसर ,दिल का दौरा, सांस की बीमारी ,प्रजनन सम्बन्धी विकार ,निमोनिया ,माहवारी से जुडी समस्याए अधिक उग्र हो जाती है ।
• तम्बाकू सेवन करने वाली महिलाओ में प्रसव समय से काफी पहले हो जाता है उनके बच्चे सामान्य औसत वजन से करीब ४०० -५०० ग्राम से कम के पैदा होते है ।
महिलाओ को सिगरेट की मार्केटिंग का इतिहास

• सन १९१९ में लारिवार्ड कंपनी पहली बार महिलाओ के चित्रों का उपयोग तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन के लिए प्रयोग किया ।
• १९२० में सिगरेट को महिलाओ की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया ।
• १९२७ में मार्लबोरो ब्रांड में सिगरेट को फेशन और दुबलेपन से जोड़ा गया साथ ही कई कपनियो ने अभिनेत्रियों को तम्बाकू उत्पादों से जोड़ना शुरू किया ।
• १९६० में फिलिप मौरिस कंपनी ने वर्जिनिया स्लिम्स नाम से मार्केटिंग केम्पेन शुरू की जिसकी पंच लाइन थी You have come a long way baby जिसमे बताया गया था की महिलाए अब पुरुषो से पीछे नहीं है ।
महिलाओ को तम्बाकू उत्पादों की मार्केटिंग के लिए कंपनिया कई तरह से उन्हें आकर्षित करती है जैसे तम्बाकू उत्पादों के फ्री सेम्पल देना , स्पोंसरशिप , महिलाओ के लिए खास तरह के ब्रांड बनाना जैसे हलकी मध्यम सिगरेट आदि ।ज्यादातर तम्बाकू कपनिया महिलाओ को सिगरेट की तरफ आकर्षित करने के लिए उसे ग्लेमर ,स्टाइल,सेक्स अपील आदि से जोडती है । इसके अलावा तम्बाकू उत्पादों को महिलाओ के बीच में प्रचारित करने के लिए फ्री सेम्पल, कूपन, पैक डिस्काउंट आदि का प्रयोग करती है । विदेशो में तो कला/ महिला क्लबो की स्पोंसेरशिप तम्बाकू कंपनियों द्वारा करा जाना बहुत आम है । इसके अलावा इन्टरनेट पर भी सिगरेट कंपनियों प्रचार करने में लगी हुई है ।महिलाओ को सिगरेट की तरफ आकर्षित करने के लिए फिल्मो में अभिनेत्रियों को सिगरेट पीते हुए दिखाना बहुत आम हो गया है । हाल ही में कई फिल्मे ऐसी आई जिसमे महिलाओ को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया ।
जहा तक विकासशील देशो की बात है तो अभी भी इन देशो में महिलाओ द्वारा धूम्रपान करना अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए इन देशो में धूम्रपान करने वाली महिलाओ का प्रतिशत बहुत कम है और यही कारण है की विश्व की बड़ी तम्बाकू कंपनिया भारत और चीन जैसे देशो में महिलाओ को तम्बाकू की तरफ आकर्षित करने में लगी हुई है ।भारत में ग्रामीण स्तर पर महिलाओ द्वारा खाने वाले तम्बाकू का प्रचलन ज्यादा और कुछ जगह बीडी का भी प्रयोग महिलाए करती है लेकिन अभी भी ज्यादातर महिलाए तम्बाकू से दूर ही रहती है ,लेकिन आज की महानगरीय जीवन शैली में भारत के ज्यादातर महानगरो में हुक्का सेंटर्स बढ़ते जा रहे हे जहा पर लडकियों द्वारा हुक्का सेवन आम हो चला है ।
आज जबकि पुरे भारत वर्ष में हर साल करीब ८ लाख मौते तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के कारण होती है, जिनमे से ज्यादातर पुरुष होते है, लेकिन यदि हमें हमारी आने वाली पीढियों को तम्बाकू आपदा से बचाना है तो पुरुषो के साथ महिलाओ को भी तम्बाकू से बचाना होगा ।

हालाँकि भारत सरकार ने व्यापक तम्बाकू नियंत्रण कानून बनाया है लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य को देखते हुए हमें लिंग आधारित तम्बाकू नियंत्रण नीतिया बनाना होंगी और इसके लिए इन नीतियों में महिलाओ की तरफ विशेष ध्यान देने की जरुरत है साथ ही महिलाओ को निष्क्रिय धुम्रपान से बचाने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का कढाई से पालन करवाना होगा और
महिलाओ के लिए काम करने वाली संस्थाओ को भी इस विषय से अवगत करना होगा ।

तम्बाकू सेवन के कुछ रोचक तथ्य:

* धूम्रपान 5000-3000 ई.पू.के प्रारम्भिक काल में शुरू हुआ।

* कई सभ्यताओं ने प्राचीन काल में तम्बाकू को धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान सुगंध उत्पन्न करने के लिए जलाया।

* विश्व में तम्बाकू 1500 इस्वी के अंतिम दौर में प्रचलित हुआ।

* तम्बाकू बहुत हद तक मदिरा का स्थान लेने में कामयाब हुआ।

* धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर का सम्बन्ध पता चलने के बाद इसका प्रचलन कुछ कम हुआ।

* तम्बाकू के धुआं में उपस्थित हज़ारों रसायन हृदय गति, स्मृति और सतर्कता और प्रतिक्रिया की अवधि को बढ़ा देता है।

* तम्बाकू पुरुषों के साथ साथ महिलाओं में भी प्रचलित है।

* गरीबों में अमीरों की तुलना में धूम्रपान की संभावना अधिक होती है।

* विकासशील देशों के लोगों में विकसित देशों के लोगों की तुलना धूम्रपान की संभावना अधिक होती है।

* धूम्रपान/चबाने के अलावा दर्दनिवारक दवा के रूप में भी तम्बाकू का उपयोग होता है।

* नगदी फसल के रूप में उगाए जाने के बाद तम्बाकू को भूरा सोना कहा गया।

* तम्बाकू की खेती की ज़मीन की उर्वरा शक्ति शीघ्र ही कम हो जाती है।

* सन 2000 में 1.22 लोग धूम्रपान करते थे , 2010 में 1.45 बिलियन लोग और 2025 में 1.5 से 1.9 बिलियन लोग धूम्रपान कर रहें होंगे।

– आओ 31-05-2012 को तम्बाकू निषेध दिवस पर तम्बाकू के प्रयोग के खिलाफ माहौल तैयार करें और नयी पीढ़ी को इसके प्रभावों से बचाएं।