फर्जी शिक्षामित्रों को बचाने के लिए बाबू ने रचा चोरी का ड्रामा, मास्टरमाइंड ही बना जांच अधिकारी

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फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों के साथ-साथ फर्जी शिक्षामित्रों की भी भरमार है। हाल ही में शासन की ओर से इनके मूल प्रमाणपत्रों के सत्यापन के आदेश आने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर चयनित शिक्षामित्रों को सत्यापन के दौरान पकड़े जाने से बचाने के लिए बाबुओं ने मोटी रकम लेकर मूल पत्रावलियों की चोरी का ही ड्रामा रच डाला। मजे की बात है कि डीएम मुथुकुमार स्वामी द्वारा इस मामले में सख्त रुख अपनाये जाने के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण की जांच के लिए जो तीन सदस्यीय समिति बनायी उसमें श्रीनिवास मिश्रा को ही नामित कर दिया।।

उल्लेखनीय है कि शासन के आदेश पर शिक्षामित्रों के मूल प्रमाणपत्रों के सत्यापन का कार्य चल रहा है। इससे फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर चयनित शिक्षामित्रों में खलबली मची हुई है। कई फर्जी शिक्षामित्र तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 कौशल किशोर से सौदा कर सत्यापन की वैतरणी पार कर गये। नये बेसिक शिक्षा अधिकारी डा0 भगवत प्रसाद पटेल के आने के बाद जब इस घोटाले में लिप्त बाबुओं को कोई जुगत चलती न दिखी तो उन्होंने पत्रावलियों की चोरी का ही ड्रामा रच डाला। मुख्य नवीन बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से दूर स्थित पुराने जर्जर भवन के दो कमरों के ताले व अंदर रखी अलमारियों को तोड़कर पत्रावलियां गायब कर दी गयीं। घटना की सूचना मिलने पर जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाया और सम्बंधित बाबुओं के विरुद्व ही एफआईआर के आदेश कर दिये। बला अपने सर ही आते देख गायब पत्रावलियों की छानवीन की गयी तो पता चला कि मात्र चुनिंदा पत्रावलियां ही गायब हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो ये सभी पत्रावलियां संदिग्ध प्रमाणपत्र वाले शिक्षामित्रों से सम्बंधित हैं।

समाचार लिखे जाने तक घटना की एफआईआर दर्ज नहीं हुई है परन्तु जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। उप बेसिक शिक्षा अधिकारी जगरूप सिंह शंखवार की अध्यक्षता में गठित समिति में सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी बढ़पुर रामगोपाल वर्मा व एक जिला समन्वयक श्रीनिवास मिश्रा को नामित किया गया है। मजे की बात है कि जिन श्रीनिवास मिश्रा को इस समिति में नामित किया गया है वह स्वयं शुरू से ही शिक्षामित्रों की चयन प्रक्रिया से जुड़े रहे हैं। उन पर कई बार शिक्षामित्रों के चयन में धांधली के आरोप लग चुके हैं। तत्कालीन जिलाधिकारी तीर्थराज त्रिपाठी, श्रीनिवास मिश्रा को जनपद से उनको मूल पद पर योगदान करने हेतु कार्यमुक्त कर गये थे, परन्तु उनके स्थानांतरण के बाद श्री मिश्रा फिर किसी प्रकार वापस लौट आये। उनकी जनपद में वापसी की प्रक्रिया को लेकर भी कई शिकायतें जिलाधिकारी से लेकर शासन तक लंबित हैं।

इस पूरे घटनाक्रम में अभी तक संदेह के घेरे में आये चतुर्थश्रेणी कर्मचारी राजेन्द्र से पूछताछ नहीं की जा रही है। विभागीय सूत्रों की मानें तो सुबह तक राजेन्द्र चोरों के एक मोटरसाइकिल पर आने, पत्रावलियां निकालने व वापस जाने की बात कह रहा था। राजेन्द्र मोटरसाइकिल नम्बर भी बता रहा था परन्तु विभागीय घाघों ने उसका मुहं बंद कर दिया।

बीएसए भगवत प्रसाद पटेल ने बताया कि शिक्षामित्रों की चयन प्रक्रिया की मूल प्रतियों की फाइलें गायब हुईं हैं। सूची बन जाने के बाद एफआईआर दर्ज करायी जायेगी। तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी गयी है।