फर्रुखाबाद: विधान सभा चुनाव में दावों की दम निकलने के बाद कांग्रेस की हालत पतली है। इस पर भी कांग्रेसी सुधरे तो नहीं बल्कि उनका आपसी विवाद फिर जोर मारने लगा है। आगामी निकाय चुनाव की तैयारी की हवा पार्टी के दो अध्यक्षों ने ही निकाल दी।
प्रदेश अध्यक्ष के फरमान पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पुन्नी शुक्ल ने निकाय चुनाव की तैयारी के लिए एक कमेटी बना दी। कमेटी में शहर अध्यक्ष ने खुद को संयोजक बनाकर जिला-अध्यक्ष आफ़ताब हुसैन को सदस्य बना दिया। जाहिर है कि कमेटी बनते ही शहर-अध्यक्ष के जिला-अध्यक्ष से मतभेद गहरा गए। जिला अध्यक्ष ने शहर-अध्यक्ष की सारी पोल पट्टी खोल कर रखी तो शहर-अध्यक्ष लाल-ताल हो गए। आज-कल दोनो अध्यक्ष आमने- सामने आते नहीं और पीठ पीछे क्या कह जाएँ इसकी कोई सीमा नहीं। उधर नगर निकाय चुनाव करीब आ रहे हैं और इधर दोनों में दूरियां बढती जा रही हैं। अब तैयारी का हाल इसी से समझ लिया जाए कि शहर कमेटी चुनाव के बाद से भंग चल रही है।
यह स्थति तब है जबकी सभी पार्टियाँ निकाय चुनाव के लिए उम्मीदवार तलाशने में लगी हैं और जिला व् शहर कांग्रेस अध्यक्ष में बात- चीत ही बंद है। परंतु यहां तो हालत यह है कि कांग्रेस में टिकट मांगने वाले तब दीखते हैं जब दूसरी पार्टियाँ उसके लिए दरवाजे बंद कर देती हैं। कई बार से ऐसा होता है की कांग्रेस इंतजार करती है की दूसरी पार्टी से ठुकराया हुआ कोई नेता आये तो उसकी चमक से काम चलाया जाये। इस विधानसभा चुनाव में ही बसपा से कुलदीप गंगवार की टिकट कटने के बाद उन्हें टिकट देने में कांग्रेस ने कतई देर नहीं लगायी। पिछले नगरपालिका चुनाव में कमर हुसैन बसपा से टिकट मांग रहे थे। टिकट नहीं मिली तो कांग्रेस का झंडा थाम लिया। फिर तो मतदान से दो दिन पहले ही उनके बैठने का पुरजोर प्रचार हो गया। फिर हुक्म आया कि कमर को पकड़ कर रखो। यह बैठने न पाए। इससे पहले विधान सभा चुनाव में विजय सिंह को कांग्रेसी बनाने और टिकट देने में देर नहीं की गयी। याद करें तो पिछले निकाय चुनाव में शहर से दो सभासद हाथ का पंजा लेकर जीते थे। बाद में उपचुनाव में दोनों बसपा के अंटू के लिए जी जान से जुटे। ऐसे में कांग्रेस उम्मीदवार बनाने में इस बार भी पुरानी परंपरा निभाई जाए तो कोई शंका नहीं होना चाहिए।