फर्रुखाबाद : मां को खुशियाँ और सम्मान देने के लिए पूरी ज़िंदगी भी कम होती है। फिर भी विश्व में मां के सम्मान में मातृ दिवस (Mother’s Day) मनाया जाता है। मातृ दिवस विश्व के अलग – अलग भागों में अलग – अलग तरीकों से मनाया जाता है। परन्तु मई माह के दूसरे रविवार को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है। हालांकि भारत के कुछ भागों में इसे १९ अगस्त को भी मनाया जाता है, परन्तु अधिक महत्ता अमरीकी आधार पर मनाए जाने वाले मातृ दिवस की है, अमेरिका में यह दिन इतना महत्त्वपूर्ण है कि यह एकदम से उत्सव की तरह मनाया जाता है।
मातृदिवस का इतिहास सदियों पुराना एवं प्राचीन है।यूनान में बंसत ऋतु के आगमन पर रिहा परमेश्वर की मां को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता था। 16वीं सदी में इंग्लैण्ड का ईसाई समुदाय ईशु की मां मदर मेरी को सम्मानित करने के लिए यह त्योहार मनाने लगा। `मदर्स डे’ मनाने का मूल कारण समस्त माओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है। इस को आधिकारिक बनाने का निर्णय पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने ८ मई १९१४ को लिया। 8 मई, 1914 में अन्ना की कठिन मेहनत के बाद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने और मां के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की। वे समझ रहे थे कि सम्मान, श्रद्धा के साथ माताओं का सशक्तीकरण होना चाहिए, जिससे मातृत्व शक्ति के प्रभाव से युद्धों की विभीषिका रुके। तब से हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।
- मदर्स डे की शुरुआत अमेरिका से हुई। वहाँ एक कवयित्री और लेखिका जूलिया वार्ड होव ने 1870 में 10 मई को माँ के नाम समर्पित करते हुए कई रचनाएँ लिखीं। वे मानती थीं कि महिलाओं की सामाजिक ज़िम्मेदारी व्यापक होनी चाहिए। अमेरिका में मातृ दिवस (मदर्स डे) पर राष्ट्रीय अवकाश होता है। अलग-अलग देशों में मदर्स डे अलग अलग तारीख पर मनाया जाता है। भारत में भी मदर्स डे का महत्व बढ़ रहा है।
मातृ दिवस पर माँ बच्चा
- जब मैं पैदा हुआ, इस दुनिया में आया, वो एकमात्र ऐसा दिन था मेरे जीवन का जब मैं रो रहा था और मेरी मॉं के चेहरे पर एक सन्तोषजनक मुस्कान थी। ये शब्द हैं प्रख्यात वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम के। एक माँ हमारी भावनाओं के साथ कितनी खूबी से जुड़ी होती है, ये समझाने के लिए उपरोक्त पंक्तियां अपने आप में सम्पूर्ण हैं।
- किसी औलाद के लिए ‘माँ’ शब्द का मतलब सिर्फ पुकारने या फिर संबोधित करने से ही नहीं होता बल्कि उसके लिए मां शब्द में ही सारी दुनिया बसती है, दूसरी ओर संतान की खुशी और उसका सुख ही माँ के लिए उसका संसार होता है। क्या कभी आपने सोचा है कि ठोकर लगने पर या मुसीबत की घड़ी में मां ही क्यों याद आती है क्योंकि वो मां ही होती है जो हमे तब से जानती है जब हम अजन्में होते हैं। बचपन में हमारा रातों का जागना.. जिस वजह से कई रातों तक मां सो भी नहीं पाती थी। जितना मां ने हमारे लिए किया है उतना कोई दूसरा कर ही नहीं सकता। ज़ाहिर है मां के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए एक दिन नहीं बल्कि एक सदी भी कम है।
- पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति
अर्थात : पृथ्वी पर जितने भी पुत्रों की मां हैं, वह अत्यंत सरल रूप में हैं। कहने का मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपने पुत्रों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां पुत्रों के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती।
- निदा फ़ाज़ली के दोहे
इक पलड़े में प्यार रख, दूजे में संसार,
तोले से ही जानिए, किसमें कितना प्यार
- सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता
…बेटा! कहीं चोट तो नहीं लगी
देश के सुदूर पश्चिम में स्थित अर्बुदांचल की एक जीवंत संस्कृति है, जहां विपुल मात्रा में कथा, बोध कथाएं, कहानियां, गीत, संगीत लोक में प्रचलित है। मां की ममता पर यहां लोक में एक कहानी प्रचलित है, जो अविरल प्रस्तुत किया जाता रहा है। कहते हैं एक बार एक युवक को एक लड़की पर दिल आ गया। प्रेम में वह ऐसा खोया कि वह सबकुछ भुला बैठा। लड़के के शादी का प्रस्ताव रखने पर लड़की ने जवाब दिया कि वह उससे विवाह करने को तैयार तो है, लेकिन वह अपनी सास के रूप में किसी को देखना नहीं चाहती। अत: वह अपनी मां का कत्ल कर उसका कलेजा निकाल लाए, तो वह उससे शादी करेगी। युवक पहले काफ़ी दुविधा में रहा, लेकिन फिर अपनी माशूका के लिए मां का कत्ल कर उसका कलेजा निकाल तेजी से प्रेमिका की ओर बढ़ा। तेजी में जाने की हड़बड़ी में उसे ठोकर लगी और वह गिर पड़ा। इस पर मां का कलेजा गिर पड़ा और कलेजे से आवाज़ आई, बेटा, कहीं चोट तो नहीं लगी…आ बेटा, पट्टी बांध दूं…। “सुभद्रा कुमारी चौहान”
दीवार फ़िल्म
“मेरे पास बंगला है, मोटर है, बैंक – बैलेंस है…. ! तुम्हारे पास क्या है ?” पैंतीस साल पहले एक महानायक के भारी-भरकम संवाद पर हावी हो गया था एक छोटा सा वाक्य, “मेरे पास माँ है !” पीढियां बदल गयी लेकिन दीवार फ़िल्म के शशि कपूर के उस डायलोग की तासीर आज भी उतनी ही सिद्दत से महसूस की जा सकती है। सच में, माँ के दूध से बढ़ कर कोई मिठाई और माँ के आँचल से बढ़ कर कोई रजाई नहीं होती। “मातृ देवो भवः !”
- मां में छिपी है सृष्टि
मां शब्द में संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। मां के शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है, जो अन्य किसी शब्दों में नहीं होती। इसका अनुभव भी एक मां ही कर सकती है। मां अपने आप में पूर्ण संस्कारवान, मनुष्यत्व व सरलता के गुणों का सागर है। मां जन्मदाता ही नहीं, बल्कि पालन-पोषण करने वाली भी है।
- मां है ममता का सागर
मां तो ममता की सागर होती है। जब वह बच्चे को जन्म देकर बड़ा करती है तो उसे इस बात की खुशी होती है, उसके लाड़ले पुत्र-पुत्री से अब सुख मिल जाएगा। लेकिन मां की इस ममता को नहीं समझने वाले कुछ बच्चे यह भूल बैठते हैं कि इनके पालन-पोषण के दौरान इस मां ने कितनी कठिनाइयां झेली होगी
कैसे बनाएँ इस दिन को यादगार
- सुबह उठते ही अपनी मां को इस दिन की बधाई दें। यदि आपको उनके हाथ का भोजन बहुत पंसद है, और खाना बनाना उनका शौक़ भी है, तो उन्हें नए और स्वादिष्ट व्यंजन की एक किताब व डिनर टेबल गिफ़्ट सेट जैसा कुछ तौफा दें।
- यदि उन्हें संगीत का शौक़ है, तो उनके पसन्दीदा गानों व संगीत की कोई डीवीडी व कैसेट् उपहार में दें, जिससे व ख़ाली समय में घर का काम करते समय सुन सकें।
- आए दिन छोटे होते घरों को देखते हुए आप उन्हें एक `होम गार्डन’ भी उपहार में दे सकते हैं। ये छोटा बगीचा घर की रौनक भी बढ़ाएगा और आपकी मां को व्यस्त भी रखेगा। सुन्दर पौधे घर में बेहतर वातावरण भी बनाए रखेगा।
- आपका घर व किचन एक ऐसा स्थान है जहाँ आपकी मां अधिक समय बिताती हैं। तो इस अवसर पर आप ड्राइंग रूम और बेडरूम के साथ साथ किचन को भी अच्छे से सज़ा सकते हैं।
- उन्हें कहीं बाहर घुमाने ले जाएँ। और यदि किसी नज़दीकी जगह पर घूमने का कार्यक्रम बना सकते हों, तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। मूड़ बदलने के साथ-साथ आपकी पिकनिक ट्रिप उन्हें प्रकृति के क़रीब लाएगी और वे बेहतर महसूस करेगीं।
इस प्रकार आप अपनी मां के लिए ये मातृ दिवस (मदर्स डे) स्पेशल बना सकते हैं। अगाथा क्रिस्टी के शब्दों में, एक शिशु के लिए उसकी मां का लाड़ – प्यार दुनिया की किसी भी वस्तु के सामने अतुलनीय है। इस प्रेम की कोई सीमा नहीं होती और ये किसी क़ानून को नहीं मानता।