डीएम की कार्यशैली से घोटालेबाजो और घूसखोरो के होश फाख्ता, तबादले की अफवाह फैलाई

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फर्रुखाबाद: बीते 24 घंटो में जिले के लगभग हर कोने में जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी के तबादले की अफवाह फ़ैल चुकी है| डीएम के ताबड़तोड़ छापामारी से जहाँ एक ओर आम जनता को राहत मिली और न्याय की आस दिखाई पड़ी है वहीँ दूसरी ओर घूसखोर बाबू , अफसर और भ्रष्ट छोटे बड़े नेता हलकान हैं| एक फोन से दूसरे फोन इस बात की अफवाह फैलाई जा रही है कि मुथु कुमार गए| पुष्ठी के लिए मीडिया के दफ्तरों और मीडिया कर्मिओ को फोन आ रहे है| ऐसी कोरी अफवाह जिसका कोई सर पैर नहीं| खुली खबर ये है इस अफवाह को फैलाने में कलक्ट्रेट के बाबू और अफसरों का बड़ा रोल है|

आमतौर पर हर काम की घूस लेकर काम करवाने का ठेका लेने वाले कई विभाग के बाबू अफसर डीएम की कार्यशैली से सकते में है| खबर है कि जिलाधिकारी ने उनके दफ्तर में आने वाली हर फ़ाइल के साथ सम्बन्धित विभाग के बाबू को खुद लाने को कहा है| इस फरमान से जिलाधिकारी मौके पर ही फ़ाइल में लगे हर कागज के बारे में साफ़ सफाई बाबू से तुरंत मांगते है वर्ना “वार्ता करे” की टिपण्णी के साथ फ़ाइल लौट आती थी और बाबू अफसर फ़ाइल दाब कर बैठ जाता था| रिश्वत लेकर काम कराने वाले बाबू काम कराने वाले को जबाब क्या दे ये सूझ नहीं रहा था| लगता है कि बाबुओ ने जनता से कहा जरा रुक जाओ “डीएम साहब जाने वाले है” फिर काम हो जायेगा|

दूसरी तरफ गाँव में ताबड़तोड़ चौपाल लगाने के बाद प्रधानो और कोटेदारो ने जिले के बड़े सत्ताधारी नेताओ के चक्कर लगाने शुरू कर दिए है| यही भ्रष्ट प्रधान और कोटेदार नेताओ के स्वागत समारोह आयोजित करते है चुनाव में वोट दिलाते है भले ही वो आम जनता का पैसा लूट रहे हो| बड़े नेताओ ने भी प्रधानो और कोटेदारो को डीएम साहब के तबादले की बात कह पीछा छुड़ाने की कोशिश की मगर इस बात की अफवाह बहुत तेजी से फ़ैल गयी| असल खबर ये है कि वर्तमान में जिले में मौजूद कोई सपा का नेता इस हैसियत में नहीं कि जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी के खिलाफ मुख्यमंत्री अखिलेश के कान भर सके| प्रशासनिक व्यवस्था में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव भी कोई दखलंदाजी नहीं दे रहे है| पढ़े लिखे और प्रशासनिक कार्यो में अंग्रेजी बोलने के शौक़ीन अखिलेश पर जिले के डीएम के खिलाफ कान भरने के लिए किसी नेता में कुव्वत भी नहीं दिखती|

फ़िलहाल खबर ये है कि अगले लम्बे समय तक जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी के तबादले की गुंजाईश नहीं है| खबर है कि अखिलेश के कुछ निजी दोस्त जो सपाई नेता नहीं है जिलों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री तक पंहुचा रहे है| अखिलेश ने ये तैयारी कई साल पहले की थी| ये उनके दोस्त नेतागिरी नहीं करते| लिहाजा किसी कार्यकर्ता और पार्टी के नेता बहुत कुछ प्रशासनिक व्यवस्था में दखलंदाजी कर पाएंगे, गुंजाईश न के बराबर है|

वैसे इसे फर्रुखाबाद का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि जब जब किसी अफसर ने आम जनता के हित में कुछ सख्त कदम उठाये जनपद के बड़े नेताओ और विधायको ने अफसर को हटाने के लिए बड़े बड़े सौदे कर जोर आजमाइश की| पिछले 15 सालो के इतिहास को खंगाले तो जिलाधिकारी राजू शर्मा से लेकर वीना कुमारी तक के तबादले कराने में जिले के बड़े राशन और भू माफियाओ ने लखनऊ तक थैलियाँ पंहुचा दी| मगर हर बार ऐसा नहीं हो सकता| मायावती सरकार तक प्रीपेड रिचार्ज के भरोसे चली जिलाधिकारी की कुर्सी को स्थानीय नेता हिला नहीं पाए| समय बदला अंदाज बदला| पहले नेता प्रभाव के कारण तबादले करते थे फिर प्री पैड प्रणाली चल निकली| सम्बन्धित मंत्री तक प्रीपेड रिचार्ज कराकर अधिकारी जिलों में बैठ कुछ भी कर सकने की हैसियत में बने रहे| हर माह समय से कुर्सी पर टिके रहने की वैलिडिटी रिचार्ज कराया और जनता को खूब लूटा|