फर्रुखाबाद: जर-जोरू-जमीन के लिये रिश्तों का खून कोई नई बात नहीं है, परंतु जब यह आरोप कई जूनियर व इंटर कालेजों के प्रबंधक पर लगे तो बात कुछ हजम नहीं होती। बात केवल हत्या जैसे जघन्य अपराध या सगे भाई जैसे खून के रिश्ते के कत्ल की नहीं, यहां बात उन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों, छात्रों और युवाओं के चरित्र पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की भी है। मामला शहर के रामानंद इंटर कालेज व रामानंद बालिका इंटर कालेज के प्रबंधक विनीत अग्निहोत्री का है। उनपर अपने सगे भाई पुनीत अग्निहोत्री की हत्या के मामले में न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज किय गया है। यद्यपि मामला अभी एफआईआर लिखे जाने का है, अपराध सिद्ध होने में विवेचना से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कई वर्ष या दशक भी लग सकते हैं, परंतु यह भी सच है कि किसी सच को किसी कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं होती।
विनीत अग्नहोत्री शहर के लिये जानी मानी हस्ती हैं। नगर में संचालित रामानंद इंटर कालेज व रामानंद बालिका इंटर कालेज के अतिरिक्त महात्मागांधी इंटर कालेज व ऋषिभूमि इंटर कालेज के प्रबंधन में उनका परोक्ष-अपरोक्ष एकाधिकार है। इसके अतिरिक्त जनपद कन्नौज में भी उनके कई विद्यालय हैं। श्री अग्निहोत्री के विरुद्ध इटावा निवासी साले श्याम मिश्रा ने एकदिल थाने में न्यायालय के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया है। श्री मिश्रा के अनुसार विनीत के भाई पुनीत के साथ उनकी बहन मंजू का विवाह हुआ था। पुनीत के कोई संतान नहीं थी। विनीत के उत्पीड़न से क्षुब्द पुनीत अधिकांशतय: अपनी ससुराल इटावा में ही रहते थे। विगत 2 जनवरी को विनीत अग्निहोत्री इटावा आये थे। दूसरे दिन ही उनके परिवार कई लोग जिनमें उनकी बहनें व बहनोई भी कई समर्थकों सहित इटावा पहुंच गये। यहां पर विवाद के बाद पुनीत की मर्जी के बगैर असलहों के दम यह लोग पुनीत को जबरन वाहन में डाल कर फर्रुखबाद ले आये। उसी दिन पुनीत को जहर दे कर मार डाला गया। शाम को फर्रुखाबाद से हमारे एक शुभचिंतक पप्पन शुक्ला ने फोन कर बताया कि आपके जीजा की मृत्यु हो गयी है। हम लोग इटावा से फर्रुखबाद पहुंचे ता इन लोगों ने हम लोगों का भी अपहरण करने का प्रयास किया। हमने कोतवाली जा कर इंस्पेक्टर कालूराम को शिकायतीपत्र भी दिया परंतु उन्होंने हमको टरका दिया। बाद में न्यायालय की शरण लेने पर विगत 22 अप्रैल के कोर्ट के आदेश पर थाना एकदिल में धारा 392, 307 व 302 के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। उपनिरीक्षक विनोद पाण्डेय को विवेचना सौंपी गयी है।
इस संबंध में जब विनीत अग्नहोत्री से संपंर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने बताया कि हम को इस बात की जानकारी कल ही मिली है कि उनके विरुद्ध कोई मुकदमा लिखाया गया है। उन्होंने बताया कि उनके भाई पुनीत की प्राकृतिक मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई थी। पुनीत का उनकी पत्नी मंजू से वर्ष 2004 में ही तलाक हो चुका था। श्याम मिश्रा केवल जायदाद में हिस्सा लेने के लिये यह हथकंडे अपना रहे हैं। इससे पूर्व भी मेरे व मेरे भाई पुनीत के विरुद्ध कई क्रिमिनल मुकदमे दर्ज करा चुके हैं, जिन सबमें फाइनल रिपोर्ट लग चुकी है।
जबकि श्याम मिश्रा ने बताया कि तलाक का केस विनीत मिश्रा ने ही अपने भाई के नाम से डालकर एक पक्षीय आदेश करा लिया है। इसकी जानकारी भी हमको अब मिल रही है। सूचना के बाद हमने केस की पक्की नकल ले ली है। आदेश सिविल जज जूनियर डिवीजन का है व वर्ष 2007 का है। उन्होंने बताया कि इसके बाद वर्ष 2010 में शहर के कुछ सभ्रांत लोग जिनमें अवधेश दीक्षित, राकेश दीक्षित आदि सम्मिलित थे आये थे व समझौता कर मेरी बहन मंजू को विदा करा ले गये थे। तलाक का आदेश विनीत अग्नहोत्री छिपाये रहे। विनीत काफी समय से अपने नि:संतान भाई पुनीत की हत्या कर पूरी संपत्ति पर कब्जा करने की नियत से योजना बनाये बैठे थे।