हिन्दू पंचांग के दूसरे माह वैशाख में विष्णु पूजा, भक्ति और उपासना की धर्म परंपराओं से जीवनशैली में संयम और अनुशासन की प्रेरणा मिलती है। इस माह के ही शुक्ल पक्ष का तीसरा दिन यानी तृतीया तिथि, अक्षय तृतीया के रूप में प्रसिद्ध है।
यह तिथि दान प्रधान है। मान्यता है कि इस शुभ संयोग में किये गये दान-पुण्य का फल अक्षय माना जाता है। यही कारण है कि घर-परिवार में सुख और शांति के लिए इस दिन यथाशक्ति दान का महत्व बताया गया है।
असल में, दान अहंकार भाव को दूर रख इंसान को सरल और सहज बनाए रखता है। दान-धर्म की परंपराएं मन, बुद्धि और विचार को सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देती है। इसलिए हिन्दू धर्म शास्त्रों में धार्मिक और व्यावहारिक नजरिए से दान का बहुत महत्व बताया गया है।
शास्त्रों के मुताबिक वैशाख मास और खासतौर पर अक्षय तृतीया पर किया दान दूसरी सभी शुभ तिथि और अवसरों पर किए गए दान से अधिक है। जानिए, वैशाख माह में किन-किन वस्तुओं या सामग्रियों का दान बहुत असीम शुभ और शांति देता है
ये दान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा उपासना के साथ किसी ब्राह्मण या गरीब, असहाय व्यक्तियों को दान करना भी बड़ा पुण्यदायी होता है –
– जल से भरा मिट्टी का घड़ा, कलश व वस्त्र
– कलश के साथ ककड़ी या खरबूजा
– पंखा, चरण पादुका
– छाता
– अनाज
– जौ, गेंहू
– चने का सत्तू
– दही-चावल
– मौसमी फल जैसे खरबूजा, आम आदि।
– खारक
– गुड़ और अरहर यानी तुवर की दाल
– चने या चने की दाल
– गर्मी के मौसम में उपयोगी पदार्थों और वस्तुओं
– गन्ने का रस
– दूध से बनी मिठाईयां
– पितरों को पिंडदान
– जल दान
– केशर
– अष्टगंध
– लाल चंदन
– गोरोचन या गौलोचन
– शंख
– चाँदी के बर्तन में घी
– कस्तुरी
– घंटी या घंटाल
– मोती या मोती की माला
– काँसे के बर्तन में सोना
– माणिक रत्न
– सोने के बर्तन
– गाय
– भूमि