यूपी की अखिलेश सरकार ने मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट यानी पार्कों और स्मारकों में हुए घोटलों की छानबीन शुरू कर दी है। सबूतों से छेड़छाड़ नहीं हो इसके लिए अखिलेश सरकार ने रातोरात राजकीय निर्माण निगम के 114 अफसरों को हटाकर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है। यूपी के पीडब्लूडी मंत्री शिवपाल यादव ने बगैरा किसी का नाम लिए कहा कि घोटाले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसे जेल जाना ही होगा।
करीब महीने भर पहले उत्तर प्रदेश की सत्ता गंवाने वाली बीएसपी सुप्रीमो मायावती बड़ी मुसीबत में घिर सकती हैं। उनकी मुसीबतों का सबब हैं उनके ही ड्रीम प्रोजेक्ट। लखनऊ से नोएडा तक बनाए गए आंबेडकर पार्क, कांशीराम उद्यान, बौद्ध शांति उपवन और स्मृति उपवन जैसे ड्रीम प्रोजेक्ट अब मायावती की नींद उड़ा सकते हैं। यूपी की अखिलेश सरकार ने पार्क और स्मारकों से जुड़े तमाम दस्तावेज बरामद कर जांच के आदेश दे दिए हैं।
सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन पार्कों में अस्पताल बनवाने का और लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव पहले ही जांच का एलान कर चुके हैं। इसी का आगाज अब सरकार ने कर दिया है। इस आगाज का सबूत है इन पार्कों और स्मारकों से जुड़े 114 अफसरों को हटाना ताकि जांच में छेड़छाड़ न हो सके।
मायावती के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सैकड़ों करोड़ रुपये पानी की तरह बहाए गए थे। जानकारी के मुताबिक कांशीराम और मायावती की मूर्तियों पर 6.68 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। पत्थर के 60 हाथियों पर 52 करोड़, अंबेडकर परिवर्तन स्थल पर 120 करोड़, स्क्रीन वॉल पर 14 करोड़, रखरखाव पर 80 करोड़, स्मारकों के सुदृढ़ीकरण पर 231 करोड़, म्यूजियम पर 203 करोड़, कांशीराम स्मारक के लिए 272 करोड़ रुपए और कांशीराम पार्क के सुंदरीकरण के नाम पर 90 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
ये सारे काम राजकीय निर्माण निगम ने कराए। जिस दौरान ये काम हुए उस दौरान निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक सीपी सिंह थे जिन्हें बतौर इनाम मायावती सरकार ने पहले दो साल और फिर छह महीने का एक्सटेंशन दिया। अब अखिलेश सरकार ने सभी निर्माण कार्यों को जांच के घेरे में लेते हुए निगम के 114 अफसरों को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है।