बीस साल पूर्व 21 लाख के अग्रिम भुगतान के बाद भी नहीं बना इण्डियन ऑयल का विद्युत फीडर

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फर्रुखाबाद: विद्युत विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितता का एक नया कीर्तिमान हाल ही में इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन के गैसिंगपुर स्थित बॉटलिंग प्लांट के मैनेजर के पत्र से सामने आया है। अधिशासी अभियंता को संबोधित इस पत्र में वर्ष 1993 में 21 लाख 70 हजार रुपये के अग्रिम भुगतान के बावजूद आज तक बॉटलिंग प्लांट के लिये अलग से फीडर स्थापित न कराये जाने का खुलासा किया गया है।

गैसिंगपुर बॉटलिंग प्लांट के मैनेजर आर जौहरी के पत्र के अनुसार 11 अक्टूबर 1993 को रसीद संख्या 50/51046 के द्वारा 21 लाख 70 हजार 246 रुपये का अग्रिम भुगतान विद्युत विभाग की ओर से अलग फीडर स्थापित करने हेतु दिये गये इस्टीमेट के सापेक्ष जमा किया गया था। विद्युत विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस फीडर की स्थापना आज तक नहीं हो सकी है। वर्ष दर वर्ष अधिकारी बदलते रहे और अग्रिम धनराशि के सापेक्ष फीडर स्थापित करने की फाइल कहीं धूल खाती रही। इस दौरान बॉटलिंग प्लांट के मैनेजर भी बदलते रहे। कई बार बीच में पत्राचार भी हुआ। पत्र में विगत 14 फरवरी 2011 के पत्र के अतिरिक्त 11 जनवरी 2011 व 12 नवम्बर 2009 के पत्रों का भी उल्लेख किया गया है।

इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन ने आडिट के दौरान 21 लाख के अग्रिम भुगतान का मामला फंस जाने के बाद अब यह मामला बॉटलिंग प्लांट के मैनेजर की भी गले की फांस बन गया है। मजे की बात है कि जिस समय आज से 20 वर्ष पूर्व यह भुगतान किया गया था तब जनपद में एक ही अधिशासी अभियंता का पद हुआ करता था। जबकि आज ग्रामीण और नगर क्षेत्र के लिए अलग-अलग अधिशासी अभियंता है। उल्लेखनीय है कि बेबर रोड स्थित विद्युत उपकेन्द्र जहां से इस फीडर की शुरूआत होनी है व नगर क्षेत्र में पड़ता है जबकि बाटलिंग प्लांट ग्रामीण क्षेत्र में। इसलिए अब फीडर की स्थापना को लेकर विद्युत विभाग के दोनो खण्ड एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ने की फिराक में हैं।