केंद्रीय नेतृत्व की प्रदेश के नेताओं के साथ गुरुवार को साढ़े तीन घंटे चली बैठक में पार्टी कारणों की तह में जाने के बजाय हार को ही भूल जाने की कोशिशों में जुटी रही। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कई मुद्दों पर खुद ही जिम्मेदारी ले ली और हार को भूल कर आगे बढ़ने का संदेश दिया। माहौल को ताड़ कर अक्सर मुखर रहने वाले नेताओं ने भी चुप्पी साध ली। प्रदेश अध्यक्ष व विधान परिषद के लिए उम्मीदवार तय करने पर भी चर्चा नहीं हुई। इसका निर्णय पार्टी अध्यक्ष पर छोड़ दिया गया है।वहीं पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक के बाद लक्ष्मीकांत बाजपेयी को उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये हैं।
उत्तर प्रदेश में चुनाव परिणामों के आंकड़ों को देख कर भाजपा के नेता उन पर चर्चा करने से बच रहे हैं। तीन सौ से ज्यादा सीटों पर पार्टी के मुख्य लड़ाई में ही न होने से उसकी जमीन खिसकी हुई है। साढ़े तीन घंटे चली बैठक के दौरान संगठन में गड़बड़ियों के मुद्दे तो उठे, लेकिन हार के लिए नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाने से बचते रहे। सूत्रों के अनुसार बैठक में बाबू सिंह कुशवाहा को लाने का मुद्दा उठने से पहले ही उन्हें लाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इतने दुखी दिखे कि गडकरी ने आगे आकर कहा कि कुशवाहा का फैसला उनका नहीं, हमारा था। बैठक में कुछ नेताओं ने मुख्यमंत्री पेश न करने, टिकट बांटने में देरी व एक मुखिया के बजाए कई नेताओं में नेतृत्व के बंटे होने के सवाल उठाए। बैठक में गडकरी ने हार को भूल जाने और स्थानीय निकाय व उसके बाद लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ने की कड़ी नसीहत दी है।
उन्होंने बहस में जाए बगैर साफ कर दिया कि प्रदेश के नेताओं में भी एकजुटता की सख्त जरूरत है। पूरी बैठक में प्रदेश नेतृत्व सवालों से बचता नजर आया। एक वरिष्ठ नेता तो सवालों से बचने के लिए बैठक के बीच में ही इसे जल्दी खत्म कर ट्रेन पकड़ने की बात उठाते रहे। दरअसल प्रदेश नेतृत्व अपने उपर आने वाले सवालों से बच रहा था तो केंद्रीय नेतृत्व भी अपने उपर कोई तोहमत नहीं आने देना चाहता था। इसके पहले सुबह गडकरी ने प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही, संजय जोशी, उमा भारती व अन्य प्रमुख नेताओं के साथ चर्चा कर शाम को होने वाली बैठक के मुद्दों पर चर्चा की। इसमें नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ विधान परिषद के उम्मीदवार को लेकर चर्चा की गई। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बैठक के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व ने लक्ष्मीकांत बाजपेयी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।