एआरटीओ व दलालों के बीच सौदा न पटने की गाज वाहन मालिकों पर

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फर्रुखाबाद: अनियमितताओं व अराजकता का अड्डा बन चुके एआरटीओ कार्यालय में विगत लगभग दो माह से नये ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन रहे हैं। एआरटीओ और दलालों के बीच सौदा न पट पाने का खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। जिसके चलते दूर दराज से आने वाले उपभोक्ता दिन-दिन भर एआरटीओ कार्यालय के चक्कर लगाकर बैरंग लौट रहे हैं। दलालों का आरोप है कि एआरटीओ 200 रुपये प्रति लाइसेंस की अग्रिम वसूली पर अड़े हुए हैं। जबकि लाइसेंस फीस मात्र तीस रुपये है। किसी खुन्नस के चलते विभागीय कम्प्यूटराज्ड फोटो मशीन खराब कर दी गयी है।

इसी के चलते मंगलवार को दलालों का एआरटीओ से विवाद भी हो गया था। बाद में पहुंची पुलिस के सामने भी दलालों ने एआरटीओ के विरुद्व भड़ास निकाली। वहीं दलालों का आरोप है कि एआरटीओ कार्यालय के लिपिक मनोज कुमार शर्मा कार्यालय में नहीं बैठ रहे है। जिससे लाइसेंस नहीं बन पा रहे हैं। वहीं नये लाइसेंस बनवाने के लिए जब उपभोक्ता एआरटीओ कार्यालय पहुंचता है तो उसे दलालों के माध्यम से लगभग एक हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

दलालों का कहना है कि 200 रुपये जब लिपिक मात्र फोटो खिंचवाने के नाम पर ले लेता है उसके बाद भी खर्चा होता है। तो दलाल भी लाइसेंस बनवाने वाले लोगों से जमकर ठगई करने से नहीं चूकते और कोई भी लाइसेंस एक हजार रुपये से कम में नहीं बन पाता।

एआरटीओ सियाराम वर्मा व दलाल सभासद मनोज अग्निहोत्री, सत्यदेव वर्मा, दीपक अग्रवाल, बबलू चौहान में फोटो खिंचवाने के नाम पर लिये जा रहे 200 रुपये को लेकर ही विवाद हुआ था। जो अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। दलालों का आरोप है कि लिपिक मनोज कुमार शर्मा लगभग दो माह से कार्यालय में नहीं बैठ रहे हैं। जिससे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

अभी तक यही दलाल बड़े आराम से 100 से 150 रुपये देकर एआरटीओ कार्यालय से जनता के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाते रहे लेकिन समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही कुछ दलालों में भी जान पड़ गयी है। जिससे वे इस अवैध वसूली का विरोध करने लगे हैं। जो भी हो फतेहगढ़ स्थित एआरटीओ कार्यालय वसूली का अड्डा बन चुका है। यहां चाहे दलालों के हाथों कटे जायें या कार्यालय लिपिक की भेंट चढ़ें जनता को अपने लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन के लिए भारी रकम चुकानी पड़ रही है।