कमीशन डकार कर कूड़ा कर दिये कूड़ादान, शहर में लगे कूड़े के ढेर

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फर्रुखाबाद: शहर में जगह-जगह पड़ने वाले कूड़े को रखने के लिए लाखों रुपये की लागत से खरीदे गये महंगे कूड़ादानों को नगर पालिका के अधिकारी खरीद में कमीशन डकारने के बाद इन्हें जैसे भूल ही गये। खरीदे गये कूड़ादान नगर पालिका परिषद में पड़े-पड़े ही कूड़ा हो गये। इसी प्रकार गलियों से कूड़ा निकालकर कूड़ादान तक लाने के लिए खरीदी गयीं कूड़ा गाड़ियां भी नगर पालिका परिषद में पड़े-पड़े बेकार हो गयीं। उधर शहर में अभी भी जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आते हैं। जहां कहीं ये कूड़ेदान रखे भी गये हैं वहां इनका उपयोग भी कतिपय कारणों से नहीं हो रहा है।

लगभग तीन वर्ष पूर्व खरीदे गये कूड़ादान कुछ को यथा स्थान पहुंचाकर खानापूर्ति कर दी गयी और कुछ कूड़ेदानों ने तो नगर पालिका परिसर में ही पड़े-पड़े दम तोड़ दिया। शहर में अगर आप यथावत तरीके से गौर करें तो आपको नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों की हकीकत साफ नजर आ जायेगी। दर्जनो ट्रैक्टर ट्रालियां कूड़ेदान उठाने के लिए लायी गयीं मिनी क्रेन होने के बावजूद शहर कूड़े का ढेर बन गया है।

लाखों रुपये प्रतिमाह का बजट नगर पालिका के पास सफाई को लेकर ही आता है। लेकिन सफाई तो तब होगी जब कर्मचारी पहुंचेगा। कर्मचारी कोई और सफाई कर रहा कोई। शहर के अंदर गलियों में तो महीनों तक कोई सफाई कर्मचारी झाड़ू लगाने तक नहीं जाता। ट्रैक्टर ट्राली तो मुख्य मार्गों पर ही निकलतीं हैं। मोहल्लों के अंदर न पहुंचने से व कर्मचारियों की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण आप चित्रों में देख सकते हैं।

तीन वर्ष में ही मोटी चादर के बने कूड़ेदान कबाड़ हो चुके हैं। अब दोबारा नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव कुछ ही दिनों में होने वाला है। क्या नवनिर्वाचित नगर पालिकाध्यक्ष अब नये सिरे से बजट पास कराकर शहर को कूड़े से निजात दिलायेंगे।

देखने वाली बात यह है कि जहां एक ओर कूड़ेदान नगर पालिका परिसर में ही पड़े-पड़े कबाड़ बन गये वहीं शहर कूड़े से पटा रहा और अधिकांश जगहों पर इन कन्टेनरों को नहीं रखा गया। जिससे सुअर व अन्य जानवर इस कूड़े को फैलाकर गंदगी में इजाफा करते रहे। लेकिन नगर पालिका अधिकारियों व अध्यक्ष को तो अपने कमीशन से मतलब था वह तो कन्टेनर खरीदते वक्त ही मिल गया था। अब उन्हें कोई लेना देना नहीं है।