फर्रुखाबाद: आज जहां पूरा विश्व स्वास्थ्य के प्रति गंभीर बना हुआ है वहीं जनपद के लोहिया अस्पताल का बुरा हाल है। यहां आज भी मरीज इलाज के इंतजार में जमीन पर पड़े मिल ही जायेंगे। लोहिया अस्पताल के डाक्टरों व कर्मचारियों को इससे कोई लेना देना नहीं है।
आज सुबह लोहिया अस्पताल के गेट पर कराहते हुए मरीज को देखकर लोग अनायास ही कहने लगे कि यदि बेबजह मरीज को मारना हो तो लोहिया अस्पताल लायें वरना प्राइवेट चिकित्सक से इलाज करवायें। ऐसे में सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा व लोहिया अस्पताल सफेद हाथी जैसा प्रतीत होता है। जब यहां गरीबों को सामान्य बीमारी तक के इलाज के लिए घंटों गेट पर तड़पना पड़ता है। तो गंभीर बीमारी वाले तो लोहिया अस्पताल में आकर जान ही गंवाने आये।
लोगों को यह आश थी कि समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी तो शायद लोहिया अस्पताल का कायाकल्प हो जायेगा। लेकिन सपा सरकार में भी इसमें कोई सुधार नहीं होने वाला है। समाजवादी पार्टी के मंत्री जी आये और चले गये उन्हें लोहिया अस्पताल में अनियमिततायें व लोगों को हो रही उससे परेशानी की जानकारी लेना मुनासिब नहीं समझा। लोगों का मानना है कि यदि इसी तरह गरीबों की समस्याओं को नजरंदाज किया जाता रहा तो सपा सरकार से भी गरीबों का विश्वास उठता नजर आ रहा है।
लोहिया अस्पताल में बाहर से दवाई लिखने का तो समझो चलन सा हो गया है। डाक्टर साहब प्रत्येक मरीज को एक छोटे से पर्चे पर कुछ दवाइयां लिखकर सामने वाले मेडिकल से ले लेने की सलाह बड़े इत्मीनान से दे देते हैं। मरीजों को खाना नहीं दिया जाता। यहां तक कि मरीजों को खाना उपलब्ध कराने के लिए रसोइया तक तैनात नहीं है। साफ सफाई के नाम पर सुबह झाडू लग गया तो बहुत समझो। दूर दराज से लोहिया अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे प्रशासन व जनप्रतिनिधि जानते हुए भी नजरंदाज किये हुए हैं।