फर्रुखाबादः बेरोजगारी भत्ते की आस लेकर अब नव युवक तो छोड़िये 55 साल के बुजुर्गों तक के रोजगार दफ्तर में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लाइन में लगे हैं। आज आईटीआई में बेरोजगारी भत्ते के लिये रजिस्ट्रेशन की लाइन में लगे एक बुजुर्ग से हमने वृद्धावस्था पेंशन पाने की उम्र में बेरोजगारी भत्ते की चाह के विषय में पूछा तो बुजुर्गवार मुस्कुराते हुए बोले भत्ते के लिए ही सही लेकिन अखिलेश की सरकार ने हमें याद दिला दिया कि हम भी कभी हाईस्कूल में पास हुए थे।
प्रति दिन आईटीआई स्थित रोजगार पंजीकरण काउंटरों पर भीड़ तो उमड़ ही रही है लेकिन उनमें से अधिकांश ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र लगभग 55 वर्ष लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग रोजगार कार्यालय में पंजीकरण कराने आये। जिनमें से कुछ के पास तो मात्र सड़ी गली मार्क सीट थी लेकिन कई बुजुर्ग इस दम पर बेरोजगारी भत्ता लेने की जुगत में दिखे जिनके पास कोई कागज ही नहीं। पूछे जाने पर बोले कि मैने हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा उस जमाने में पास की थी जब मुलायम सिंह ठीक से राजनीति जानते भी नहीं थे। लेकिन क्या करें मार्कसीटें तो बाढ़ में बह गयीं। अब बाढ़ का पानी रोकना सरकार का काम है। मार्कसीटे बह गयीं तो इसमें उनकी क्या गलती। भत्ता तो देना ही पड़ेगा।
वहीं महिलाओं से बातचीत में जो नतीजा सामने आया उसमें एक ही लाइन में एक 22 साल की युवती पूनम सक्सेना पुत्री सुरेश सक्सेना निवासी ग्राटगंज जोकि नौकरी के चक्कर में पंजीकरण कराने आयी थी। ठीक उसके आगे लाइन में लगीं मंशा सक्सेना पत्नी अरविंद सक्सेना निवासी बजरिया हरलाल जिन्होंने 1976 में हाईस्कूल किया था। उन्होंने बताया कि पूरा जीवन निकल जाने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। न जाने कितनी बार रोजगार दफ्तार में पंजीकरण कराया। लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली। इस पर युवती पूनम सक्सेना ने कहा कि जब आपको नौकरी नहीं मिली तो हमें क्या खाक मिलेगी। अब दोनो इस चक्कर में रजिस्ट्रेशन फार्म भर रहीं थी कि नौकरी तो नहीं मिली शायद भत्ता ही मिल जाये।
वहीं हाल सुनिए लालाराम पुत्र नत्था का जिन्होंने मुलायम सिंह यादव के राजनीति में आने से पहले ही सन 1958 में हाईस्कूल कर लिया था व उसी वर्ष रोजगार कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन भी करा लिया था। उन्होंने बताया कि उसके बाद मुलायम सिंह यादव सन 1967 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुने गये व मंत्री बने। 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई। इससे पहले 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1995 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। लेकिन हम लोगों का कोई भला नहीं हुआ। रोजगार दफ्तर में पंजीकरण कराये कई साल हो गये। लेकिन आज तक नौकरी नहीं मिल सकी। अब नौकरी की तो छोड़िए भत्ते की ही आस पर आये हैं। लेकिन कागज तो पूरे हैं नहीं इसलिए बाबू जी ने रजिस्ट्रेशन करने से इंकार कर दिया। जो भी हो मुलायम सरकार ने याद दिला दिया कि हमने भी कभी हाईस्कूल किया था।
राजेपुर विकासखण्ड के ग्राम राई निवासी बदनपाल पुत्र छेदा बढ़ई ने बताया कि उसके कागज नहीं है। लेकिन भत्ता लेकर रहेगा। जुगाड़ लगायेंगे। ऐसी ही कहानी सुभाष राजपूत पुत्र लोचन सिंह निवासी मेरापुर का है जिन्होंने 1979 में हाईस्कूल किया। वहीं राजाराम पुत्र ईश्वरी निवासी पिपरगांव ने 1965 में हाईस्कूल का डिप्लोमा किया था। जिन्हें अब आंखों से धुंधला व कानों से ऊंचा सुनाई पड़ने लगा है। ऐसे में समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा 35 वर्ष से ऊपर बेरोजगार लोगों को भत्ता देने की बात इन बुजुर्ग जेहनों में एक खुशी जरूर पैदा करती है। जो हर दिन अखबारों और टीबी में एक ही टक-टकी लगाए हैं भत्ता-भत्ता-भत्ता……………………..