मासूम किशन बोला-फारम बेचत हैं, जा नाइं पता काए को है

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फर्रुखाबादः केन्द्र सरकार सर्व शिक्षा अभियान की सफलता के चाहे कितने बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन जमीनी हकीकत बाकई में कुछ और ही है। सर्व शिक्षा अभियान से जुड़े अधिकारी फर्जी रिपोर्ट पेश कर केन्द्र सरकार को आंकड़े तो उंगलियों पर गिना देते हैं लेकिन सच क्या है यह वह भी भलीभांति जानते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ते की घोषणा क्या हुई कइयों के पैदा करने का जरिया मिल गया। रजिस्ट्रेशन के नाम पर जहां दायें बायंे कमाई चालू है वहीं कुछ लोगों ने फार्म को फोटोकापी कराकर आईटीआई स्थित रजिस्ट्रेशन केन्द्र परिसर में बेचने को ही धन्धा बना लिया है। कई मासूम भी आईटीआई परिसर में फार्म बेचते देखे जा सकते हैं।

उमरदराज लोग यह काम पूरी जानकारी के साथ करते हैं। वहीं मासूमों द्वारा फार्म बेचकर चार पैसे कमाने की जुगत बनाते देखा जा सकता है। ऐसा ही एक मासूम किशन हाथों में रोजगार पंजीकरण फार्म लिए आवाज लगा रहा है। हाथों में फार्म लिये मासूम किशन ने बताया कि वह स्कूल पढ़ने नहीं जाता। सुबह से शाम तक 10-20 रुपये कमा लेता है। काहे का फार्म बेच रहे हो, यह पूछे जाने पर किशन बोला फारम बेचत हैं, जा नाइं पता काए को है। बस बेच रहे हैं।

दूसरों को रोजगार दिलाने में मदद कर रहा मासूम किशन के पेट में शायद मिड डे मील का एक दाना तक नहीं गया लेकिन कहीं न कहीं मानसिक रूप से होशियार अफसरों ने जरूर उसके हिस्से का मिड डे मील हड़प लिया होगा। ऐसे एक नहीं जाने कितने किशन यूपी को तो छोड़िये फर्रुखाबाद में ही मिल जायेंगे। जिन्होंने स्कूल का मुहं अब तक नहीं देखा।

इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा सर्व शिक्षा अभियान कितना सफल है। इन मासूमों को देखकर तो नहीं कहा जा सकता कि केन्द्र सरकार का पूर्ण साक्षरता लाने का सपना पूरा हो सकेगा।