काटजू ने अन्ना की सोच को UNSCIENTIFIC बताया

Uncategorized

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू ने मंगलवार को कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे ईमानदार व्यक्ति तो हैं लेकिन उनकी सोच साइंटिफिक (वैज्ञानिक) नहीं है।

 न्यायमूर्ति काटजू ने लखनऊमें संवाददाताओं से कहा कि मुझे लगता है कि अन्ना हजारे ईमानदार व्यक्ति हैं, लेकिन उनकी सोच साइंटिफिक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के सामने अनेक गम्भीर समस्याएं हैं जिनसे निपटने के लिये वैज्ञानिक सोच होना जरूरी है। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा क्या नारेबाजी करने से समस्याएं सुलझती हैं। मेरे नजरिये से जहां तक जन लोकपाल का सवाल है तो कोई भी सरकार उसके तहत काम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि देश में 50-55 सरकारी कर्मचारी हैं, जिनमें से 15 लाख तो अकेले रेलवे के कर्मी हैं। ऐसे में कोई एक लोकपाल लाखों कर्मचारियों से जुड़ी शिकायतों पर कैसे गौर कर कार्रवाई कर सकेगा। हिसाब लगाएं तो शिकायतें निपटाने के लिये 55 हजार लोकपालों की जरूरत पड़ेगी। हर जिले में लोकपाल तैनात करना पड़ेगा। काटजू ने कहा कि इतना सब होने के बावजूद इस बात की क्या जमानत है कि सजा पाने वाले कर्मचारी दोबारा भ्रष्टाचार नहीं करेंगे। मेरा मानना है कि वे निश्चित रूप से ब्लैकमेलर बन जाएंगे। उन्होंने कहा आप समानांतर नौकरशाही तैयार करना चाहते हैं। ऐसे में सरकार कैसे काम करेगी यह बिल्कुल भी साध्य नहीं है। न्यायमूर्ति काटजू ने कहा अब तक मैं इस मुद्दे पर शांत था, क्योंकि मेरा मानना था कि लोग कहेंगे कि मैं भ्रष्टाचार का समर्थन कर रहा हूं, लेकिन आम समझ का इस्तेमाल तो करना ही चाहिये।

उत्तर प्रदेश के नये मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के इस युवा प्रमुख की क्षमता के बारे में अंदाजा लगाने से पहले उन्हें काम करने का कुछ वक्त दिया जाना चाहिये। काटजू ने मीडिया के प्रति तल्ख लहजा अपनाते हुए कहा उत्तर प्रदेश में एक युवा मुख्यमंत्री की अगुवाई में सरकार बनी है, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही समाचार चैनलों ने गुंडाराज आने की बातें शुरू कर दीं। चैनलों का यह गैर जिम्मेदाराना और अनुचित कार्य, मनोबल को गिराता है। उन्होंने कहा हर जगह असामाजिक तत्वों की घुसपैठ हो गयी है। अखिलेश ने ऐसे लोगों के खिलाफ कदम उठाए हैं और उन्होंने सख्त कार्यवाही का आश्वासन भी दिया है। अगर एक साल के बाद आपको लगे कि उनका काम ठीक नहीं है, तो उनकी आलोचना होनी चाहिये।

इलेक्ट्रानिक मीडिया पर गैरजिम्मेदाराना ढंग से काम करने का आरोप लगाते हुए काटजू ने कहा कि टीवी पत्रकारों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिये और उन्हें किसी का मनोबल नहीं गिराना चाहिये। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी अगुवाई वाली संस्था ने आगामी 16 नवम्बर को पहली बार राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कष्ट योगदान करने वाले 7 पत्रकार को राष्ट्रीय पुरस्कार देने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि यह अवार्ड अलग-अलग श्रेणियों में हर साल दिया जाएगा।