स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चो के खाने पर पड़ रहा डाका, डीएम और नेता खामोश क्यूँ?

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फर्रुखाबाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई मध्याह भोजन योजना जिले में दम तोड़ चुकी है| जिला प्रशासन मौन होकर बच्चो के खाने पर होने वाली डकैती को खामोश होकर देख रहा है| क्या डीएम, क्या बेसिक शिक्षा अधिकारी, क्या जिले के एक मात्र प्रदेश मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव, क्या जिले में चुनाव के लिए वोट मांगते फिरते रहे हारे हुए नेता और क्या जिले से केंद्र में मंत्री और सांसद सलमान खुर्शीद सब खामोश है| किसी को बच्चो की भूख की चिंता नहीं है| मास्टर तो कब का संवेदनहीन हो चुका है, अधिकांश न पढ़ाना चाहते है और न ही स्कूल में अपनी जिम्मेदारी निभाना| इन्हें बस नौकरी चाहिए, जनता के पैसे को लूटने का मौका चाहिए| और चुनाव में वोट चाहिए| आखिर ये बेशर्मी कब तक?

एक नमूना देखिये- 23 मार्च 2012 को उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों में कोई छुट्टी नहीं थी फिर भी फर्रुखाबाद के 1700 स्कूल में से अधिकांश बंद रहे| कुछ खुले तो दोपहर 2 बजे तक आते आते सब बंद हो गए| जबकि स्कूल बंद होने का समय 4.30बजे था| इतना ही नहीं इनमे से 539 स्कूलों में दोपहर का खाना नहीं बनने की सूचना इलेक्ट्रोनिक मशीन पर दर्ज हुई| और अधिकांश ने फर्जी सूचना भेज दी| न कोई देखने वाला न सुनने वाला| मध्यः भोजन समन्वयक अतुल कुमार ने दो महीने पहले नौकरी ज्वाइन की तो सबसे पहले अपने बैठने के लिए ५० हजार की कुर्सी मेज खरीदी| व्यवस्था सुधारने के लिए उस कुर्सी से उठने का सवाल ही पैदा नहीं होता| फर्जी रिपोर्ट, फर्जी रजिस्टर तैयार करने में पूरा समय जो बीत रहा है| यथा रजा तथा प्रजा| मतलब जैसा बेसिक शिक्षा अधिकारी कौशल किशोर वैसे ही उनकी फ़ौज?

जिलाधिकारी के दस्खत से जाती है मुख्यमंत्री को फर्जी रिपोर्ट-

आखिर ये सब क्यूँ? मुख्यमंत्री को जिले से जाने वाली रिपोर्ट में 100 फ़ीसदी बच्चो के खाना खाने की सूचना हर माह भेजी जाती है और खास बात ये की इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं| आखिर इन सब के लिए जिम्मेदार क्यूँ? सरकार यानि विधायक और मंत्री क्या देख रहे है? जिले में जिलाधिकारी क्या देख रहे हैं? बेसिक शिक्षा अधिकारी की क्या जिम्मेदारी है? सब के सब एक दूसरे पर जिमेदारी डालेंगे मगर मरेगा कौन? आम जनता| आखिर जिमेदारी पूरी नहीं कर सकते तो नौकरी छोड़ घर क्यूँ नहीं चले जाते? किस बात की कसम खायी थी नौकरी पाते समय? क्या केवल जनता के धन के संशाधन इस्तेमाल करने के लिए? मत भूलो मासूमो के साथ नाइंसाफी का परिणाम बहुत बुरा होता है| बच्चे भागवान का स्वरुप होते है उनके साथ धोखे का मतलब है भागवान के साथ धोखा| क्या नवरात्र के पहले दिन मंदिरों के घंटे बजाने से भागवान खुश हो जायेंगे, नहीं जो चोरी आज की गयी है उसकी सजा जरुर मिलेगी| माँ के दरबार में कुछ भी छुपा नहीं है| उसकी लाठी में चोट होती है आवाज नहीं—-

पंकज दीक्षित