फर्रुखाबादः जनपद में होमगार्डों की नौकरी को लेकर तैनात होमगार्ड पूरे वर्ष में मात्र चार महीने ही खाकी पहन पाते हैं। बाकी के आठ महीने उन्हें बेरोजगार रहना क्या वल्कि बेगार तक करना पड़ता है। जिससे उनकी अर्थव्यवस्था हमेशा चरमराई रहती है। प्रदेश के होमगार्ड मंत्री अपने जनपद के ही सपा विधायक नरेन्द्र यादव के बनने से होमगार्डों में खुशी की लहर है।
अधिकारियों और थानेदारों की गालियां सुनने के बाद उनके कार्यालय व बंगलों में बेगार करने पर मजबूर होमगार्डों की स्थित काफी खराब है। जनपद की 11 बटालियन ए, बी कंपनी फर्रुखाबाद, सी कंपनी फतेहगढ़ के अलावा ब्लाक स्तर पर बढ़पुर, राजेपुर, मोहम्मदाबाद, कमालगंज, शमशाबाद, नबावगंज, कायमगंज के ग्रामीण व ई नगर के साथ महिला कंपनी की फतेहगढ़ बटालियन में 1009 जवान हैं। महिलाओं के 32 पदों पर 45 महिला होमगार्ड तैनात किये गये है। प्रति माह 420 महिला व पुरुष होमगार्डों को ही ड्यूटी मिल पाती है।
इस हिसाब से एक जवान वर्ष में मात्र तीन महीने ही नौकरी कर पाता है। 160 रुपये प्रति दिन की कमाई भी उसे वक्त पर नहीं मिलती। एक माह छोड़कर उसको वेतन भुगतान दिया जाता है।
नरेन्द्र के मंत्री बनने से होमगार्डों में जगी वेतन वृद्वि की उम्मीद
फर्रुखाबादः समाजवादी पार्टी के विधानसभा क्षेत्र अमृतपुर से विजयी हुए नरेन्द्र सिंह यादव को होमगार्ड व व्यावसायिक शिक्षा मंत्री बनाये जाने से जनपद के होमगार्डों में एक उम्मीद अवश्य पैदा हो गयी है कि अपने क्षेत्र का मंत्री होने के कारण अब उन लोगों के भी दिन सुधरेंगे।
सी कंपनी फतेहगढ़ के होमगार्ड अशोक सिंह, मोहम्मद फैयान , बी कंपनी के चेतराम पाल ने जेएनआई को जो अपना दर्द बयां किया उससे यह बात साफ हो जाती है कि वर्दी होने के बावजूद भी वह अपने मर्जी से कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। होमगार्डों ने कहा कि जब हम लोग खाकी वर्दी पहनते हैं और पुलिस के सिपाही भी वही वर्दी पहनते हैं उसके बावजूद भी हम लोगों को सहुलियतों के नाम पर सिर्फ अधिकारियों की डांट डपट को झेलना पड़ता है।
एक होमगार्ड तो यहां तक कह गया कि ड्यूटी पर लगाये जाने के बाद वाहनों से वसूली का पूरा पैसा संबंधित वीट का सिपाही ही रख लेता है। मात्र 100-50 रुपये में ही हमें टरका दिया जाता है। होमगार्डों ने कहा कि अगर हमारा वेतन कुछ बढ़ा दिया जाये तो हम लोग भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकें। लेकिन नौकरी का कोई समय निर्धारित न होने व अमानक ड्यूटी का समय उनके सामने रोड़ा बना हुआ है।
होमगार्डों के जिला कमांडेंट राजकिशोर ने बताया कि होमगार्डों को मात्र 42 दिन का ही प्रशिक्षण दिया जाता है। जबकि होमगार्ड अधिकारियों व पुलिस के साथ पूरा सहयोग करते हैं। थानों व चौकियों में भी उन्हें बदूक से पहरा देना पड़ता है। होमगार्डों को कम से कम 6 माह का प्रशिक्षण तो दिया जाना ही चाहिए। जिससे वह अपने कार्य में दक्ष हो सके।