बंदी रक्षकों की भर्ती निरस्त होने के बाद अब घूस की वापसी के लिए मारामारी

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फर्रुखाबादः बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल में शुरू की गयी केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ की भर्ती प्रक्रिया पर नव नर्वाचित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रोक लगा देने से अभ्यर्थियों के पैरों तले जमीन खिसकी, वहीं मोटी रकम कमा चुके अधिकारियों के माथे पर भी पसीना आ रहा है। बंदी रक्षकों की भर्ती के लिए दी गयी गुपचुप घूस को अब अभ्यर्थी वापस लेने के लिए भटक रहे हैं।

बीते 6 माह से चल रही केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ के बंदी रक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगते ही अभ्यर्थियों व घूस लेने वाले अधिकारियों के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी हो गयी। अभ्यर्थियों की खून पसीने की कमाई घूसखोर अधिकारी डकार गये अब भर्ती पर रोक लगते ही घूस लेने वाले अधिकारियों के फोन रिसीव होना बंद हो गये।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभ्यर्थियों की भर्ती हेतु बसपा के शासनकाल में रहे कई असरदार विधायकों मंत्रियों व नेताओं द्वारा शिफारिशें लगाकर अभ्यर्थियों की भर्तियां की गयी हैं। बांदा जिले से अभ्यर्थियों की पूरे की पूरी लिस्ट बसपा के शासनकाल में रहे असरदार मंत्रियों व विधायकों द्वारा भेजी गयी थी। जिन पर अधिकारियों ने बगैर रोकटोक के हरा पेन चलाया है।

दूर-दूर से आये अभ्यर्थी केन्द्रीय कारागार पर सुबह से शाम तक अपनी नाप जोख कराने की जुगाड़ में दिखायी देते थे। लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहंी था कि सम्बंधित अधिकारी फाइल के नीचे तो चयन के लिए लिस्ट पहले ही आ चुकी है। भर्ती के दौरान तो किसी भी अभ्यर्थी ने घूस का जिक्र इसलिए नहीं किया कि कहीं अधिकारी उनका चयन निरस्त न कर दे। लेकिन भर्ती पर रोक लगते ही अभ्यर्थियों ने अपना मुहं खोल दिया। जिससे केन्द्रीय कारागार की भर्ती प्रक्रिया की पोल खुल गयी।

अभ्यर्थियों ने पांच से छः लाख तक रुपये घूस देने की बात कबूली है। कई अभ्यर्थी सुबह से ही मीडिया में भर्ती रोक की खबर लगते ही सेन्ट्रल जेल के इर्द गिर्द सम्बंधित अधिकारियों व दलालों के फोन मिलाते नजर आये। लेकिन उन्हें अधिकारी से मिलने में कामयाबी नहीं मिली। 1700 अभ्यर्थियों को सा़क्षात्कार के लिए 24 मार्च को केन्द्रीय कारागार में बुलाया गया था। लेकिन भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगने स ेअब अभ्यर्थियों के घूस के रुपयों को अधिकारी हड़पने की जुगत भिड़ा रहे हैं।

कायमगंज से आये एक अभ्यर्थी ने बताया कि पहले तो भर्ती में घूस का पैसा लेने वाले अधिकारी से मुलाकात नहीं हुई और काफी मसक्कत के बाद जब वह मिल गये तो अधिकारी से पैसे वापस करने की दरकार की। जिस पर अधिकारी ने उसको हड़काकर कह दिया कि तुम्हारी भर्ती करवानी थी सो तो मैने करा दी। अब सरकार ने उस पर रोक लगा दी तो मैं क्या करूं। पैसे अब वापस नहीं हो पायेंगे।

इस सम्बंध में सेन्ट्रल जेल अधीक्षक यादवेन्द्र शुक्ला से फोन पर बात करने का काफी प्रयास किया गया लेकिन फोन मीडिया का होने के कारण उन्होंने रिसीव नहीं किया।