क्या सपा सरकार में लोहिया अस्पताल के मरीजों को बाहर से नहीं लानी पड़ेगी दवाई?

Uncategorized

फर्रुखाबाद: समाजवादी पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत से बनते ही समाजवादी पार्टी के अलावा अन्य लोगों के जेहन में भी खुशी उमड़ रही है। कहीं न कहीं जनता व उससे ज्यादा गरीब तबके के लोगों ने जिस भावना से समाजवादी पार्टी को वोट दिया और उसके बाद सरकार बनी। तो अब जनता के दिमाग में सरकार को लेकर कई प्रश्न कौंध रहे हैं। सबसे जरूरी उनके लिए तो बीमारी का इलाज है जहां पिछले पांच साल में अपने घर मकान को गिरवीं रख लोहिया जैसे फ्री चिकित्सालय में भी हजारों के खर्चे उन्हें झेलने पड़ रहे थे। मरीज अस्पताल में भर्ती और दवाइयां बाहर से आ रही। यह प्रश्न अब जनता के दिमाग में है कि समाजवादी पार्टी की सरकार आने पर अब क्या उन्हें एक रुपये के पर्चे पर ही पूरी चिकित्सकीय सुविधायें अस्पताल में ही मिलेंगीं।

पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा 10 दिसम्बर 1990 को डा0 राममनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय का शिलान्यास शायद इसी भावना से कराया गया था कि क्षेत्रीय जनता को अच्छी से अच्छी चिकित्सकीय सुविधायें उपलब्ध हो सकें। लेकिन बीतेे कुछ वर्षों से लोहिया अस्पताल की हालत बद से बदतर हो गयी। एक रुपये के पर्चे के बाद मरीज को क्या कुछ झेलना नहीं पड़ता यह किसी से छिपा नहीं है। डाक्टर यह कहकर दवाई बाहर के लिए छोटी पर्ची पर लिखते हैं कि अस्पताल में अच्छी दवाइयां मौजूद नहीं है।

बेचारा बीमार व लाचार मरीज मजबूरीबस बाहर से दवाइयां लाकर इलाज कराता है। आज लोहिया अस्पताल में दवाई लेने चेहरे पर चमक लिये कुछ लोग आये तो उनसे जेएनआई की बातचीत में पिछले वर्षों का मर्म निकलकर सामने आया। मरीजों का कहना था कि जिले के सबसे बड़े चिकित्सालय में हम लोगों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। पर्चा तो एक रुपये का बनता है मगर कहीं तो डाक्टर नहीं बैठते और कहीं दवाई काउंटर पर पहुंचने पर पता चलता है कि दवाई खत्म हो गयी। इन सबके अलावा अस्पताल में मरीजों कई असुविधाए होती हैं। जिनमें पानी सबसे बड़ी समस्या है। लोहिया अस्पताल में मरीजों के लिए लगायी गयी टंकी खराब पड़ी है। मरीज पानी के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।

लोहिया अस्पताल में दवाई लेने पहुंचे मरीज रामविलास, जगन्नाथ निवासी मोहम्मदाबाद,  बिटानी आदि ने बताया कि हम लोगों ने तो साइकिल पर ही मुहर लगायी थी और यह अस्पताल भी मुलायम सिंह ने ही बनवाया था। तो क्या अब हम लोगों को अस्पताल में ही दवाई, रक्त आदि की सुविधा मिलेगी? पिछले वर्षों में अस्पताल में न तो कायदे से जनरेटर ही चला और न कायदे से मरीजों को दवाइयां उपलब्ध हुईं। एक्सरे व खून भी मरीजों के लिए कायदे से उपलब्ध नहीं हुआ। अब जनता की उम्मीद समाजवादी पार्टी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर टिकी हैं। क्या वह उन्हें यह सारी सुविधायें सही से उपलब्ध करा पायेंगे?