फर्रुखाबादः होली हो या दीपावली बाजारों में खड़पुड़ी (बतासे) की बड़ी-बड़ी दुकानें सज जाती हैं। इस वर्ष खड़पुड़ी 50 रुपये से 60 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रही है।
होली व दीपावली को ही खड़पुड़ी की विक्री बढ़ जाती है। उसके बाद यह बाजारों में दिखायी भी नहीं पड़ती। धार्मिक परम्पराओं के अनुसार खड़पुड़ी का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार किसी परिवार में जब किसी व्यक्ति का स्वर्गवास हो जाता है तो उसके अन्य सम्बंधी होली या दीपावली का त्यौहार आने पर उसके घर पर जाकर खड़पुड़ी देकर उस परिवार के दुख में सरीक होते हैं।
इस परम्परा को होली या दीपावली उठाना कहा जाता है। यह परम्परा सदियों पुरानी हो गयी है। इसीलिए होली व दीपावली के त्यौहारों पर बतासे से कई गुना बड़े साइज की खड़पुड़ी की विक्री होती है। खड़पुड़ी बनाने का काम त्यौहार आने के महीनो पहले शुरू हो जाता है। कारीगर कुन्तलों की मात्रा में खड़पुरी बनाकर भण्डारण कर लेते हैं।
ऐसे में इस होली के त्यौहार के दौरान इन दुकानों पर खरीदारों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है। वहीं खड़पुड़ी दुकानदारों ने भी पहले से ही पॉलीथिन में आधा किलो व एक किलो की पैकिंग करके रख ली व औने-पौने दामों में बेचकर खूब मुनाफा कमा रहे हैं। दुकानदार घटलौती से भी नहीं चूक रहे हैं।