फर्रुखाबाद: जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1951 के अनुसार अगर कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने के समय दिए गए शपथ पत्रों में कोई जानकारी छिपाता है या झूठी जानकारी देता है तो साबित होने पर उसे सजा के रूप में अधिकतम 6 माह की जेल, जुरमाना या दोनों भुगतना पड़ सकता है| हालाँकि ये आदेश काफी स्पष्ट नहीं होने के कारण व्यावहारिक नहीं हो पाते| चुनाव के समय तो नामांकन में आपत्ति लगती है मगर उसके बाद विधायक जी के खिलाफ आमतौर पर कोई पंगा नहीं लेता| बदलते समय और जागरूक होती जनता के लिए ये कानूनी नुक्ता झूठे विधायक या सांसद को जेल भी भिजवा सकती है| नए प्रस्तावित चुनाव सुधार अधिनियम में इस मामले को और स्पष्ट कर सजा बढ़ाने का भी प्राविधान शामिल किया गया है|
आमतौर पर चुनाव लड़ने के समय प्रत्याशी अपने सम्पत्ति, पारिवारिक रिश्ते और सरकारी लेनदारी और देनदारियो को छिपा जाता है| दो चार पत्नियो के होते एक पत्नी ही दर्शाता है, तमाम काली कमाई छुपा जाता है इतना ही नहीं चुनाव लड़ने के चक्कर में अपने बच्चे भी छुपा जाता है| बेशर्मी का लावादा ओढ़े ऐसे नेताओ से जब इन मुद्दों पर सवाल पूछा जाता है तो इनका जबाब होता है इमानदार कौन है? यानि जनता जिसे चुन रही है कोई गरंत्ति नहीं कि वो गैर सजायाफ्ता चोर उछक्का न हो|
एक नजर इस एक्ट और उसकी सजा के प्रावधान-
THE REPRESENTATION OF THE PEOPLE ACT, 1951
CHAPTER III.—Electoral offences
5[125A. Penalty for filing false affidavit, etc.—A candidate who himself or through his proposer, with intent to be elected in an
election,—
(i) fails to furnish information relating to sub-section (1) of section 33A; or
(ii) give false information which he knows or has reason to believe to be false; or
(iii) conceals any information,
in his nomination paper delivered under sub-section (1) of section 33 or in his affidavit which is required to be delivered under
sub-section (2) of section 33A, as the case may be, shall, notwithstanding anything contained in any other law for the time being
in force, be punishable with imprisonment for a term which may extend to six months, or with fine, or with both.].