उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने राज्य के छात्रों से वादा किया है कि अगर उनकी सरकार आयी तो दसवीं पास करने वाले छात्र-छात्राओं को टैबलेट और बारहवीं पास करने पर लैपटॉप प्रदान किया जायेगा। घोषणा पत्र जारी होते ही विरोधी पार्टियों ने इसमें नुक्स निकालने शुरू कर दिये, साथ ही कहा गया कि 40 लाख छात्रों को लैपटॉप और टैबलेट मुहैया कराना नामुमकिन है।
नामुमकिन शब्द आया ही है तो हमरा अनुमान यह है तो क्यों न हम इसी पर चर्चा करें। सीधी बात करें तो इस साल यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट में करीब 26 लाख और हाईस्कूल की परीक्षा में करीब 30 लाख छात्र-छात्राएं बैठेंगे। पिछले साल 80 फीसदी परिणाम गया था। अगर इस साल 70 फीसदी भी परिणाम गया, तो इंटरमीडिएट में करीब 18 लाख और हाईस्कूल में 21 लाख परीक्षार्थी पास होंगे।
अब अगर समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है तो वादे के अनुसार 18 लाख छात्रों को लैपटॉप देना होगा। एक लैपटॉप की कीमत अगर 15 हजार हुई, तो करीब 2700 करोड़ रुपए का खर्च आयेगा। वहीं हाईस्कूल के करीब 21 लाख छात्र-छात्राओं को टैबलेट देने के लिए 525 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यहां एक टैबलेट की कीमत 2500 रुपए लगाई गई है। तो कुल मिलाकर सरकार पर 3225 करोड़ रुपए का खर्च आयेगा।
विरोधी दल इसे नामुमकिन करार दे रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि मायावती अगर मूर्तियों पर 6500 करोड़ रुपए खर्च कर सकती हैं, तो मुलायम छात्र-छात्राओं को लैपटॉप और टैबलेट देने के लिए 3225 करोड़ रुपए क्यों नहीं खर्च कर सकते।
कुछ दलों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव लैपटॉप और टैबलेट का लालच देकर युवाओं के वोट बटोरने की सोच रहे हैं। इस पर हमारी राय यह है कि माना कि वो लालच दे भी रहे हैं, तो भी इसमें बुराई क्या है। कम से कम वो मूर्तियों पर तो पैसा नहीं बहाने जा रहे हैं। दूसरी अहम बात जो राज्य के हर एक वोटर को ध्यान में रखनी चाहिये वो यह कि देश की युवा शक्ति सबसे बड़ी शक्ति है। अगर सरकार बनने के बाद मुलायम लैपटॉप न दें, तो देश के युवा उनके खिलाफ खड़े हों और राज्यपाल से उनकी सरकार गिराने की मांग करें। तब देखते हैं कि उन्हें लैपटॉप और टैबलेट कैसे नहीं मिलता है।
अंत में सबसे अहम बात यह कि अगर सपा की सरकार ऐसा कर दिखाती है, तो यह पूरे विश्व के लिए इतिहास रचने जैसा होगा। जिस राज्य में शिक्षा की हालत इतनी खराब है, वहीं अगर हर छात्र के हाथ में लैपटॉप और टैबलेट होंगे, तो वह राज्य कितनी तेजी से विकास करेगा। अगर ऐसा हुआ, तो वो दिन दूर नहीं जब यूपी भी कर्नाटक से आगे होगा